आरा की गलियों से निकलकर राजपथ पर कदमताल, मंचों पर लहराया तिरंगा-सा आत्मविश्वास… ये हैं भोजपुर की आयरन लेडी, डॉ. अर्चना कुमारी!”
आरा के शुभ नारायण नगर की रहने वाली डॉ. अर्चना कुमारी का जीवन किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं। कभी राजपथ पर गणतंत्र दिवस की राष्ट्रीय परेड में कदमताल करती कैडेट, तो कभी मंच पर तर्क की धार से विरोधियों को मात देती वक्ता, और आज शिक्षा व समाजसेवा में ‘मिशाल’ बनी महिला।
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शैक्षणिक सफर जो बना मिसाल
वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय से पीएचडी, मगध विश्वविद्यालय से एलएलबी व एमए, और पटना विश्वविद्यालय से बी.एड. — डॉ. अर्चना का अकादमिक सफर उतना ही मजबूत रहा जितनी उनकी जमीनी पकड़। 30 वर्षों से शिक्षा और समाजसेवा में सक्रिय रहते हुए उन्होंने “शांति-स्मृति सम्भावना आवासीय उच्च विद्यालय” की स्थापना की और हज़ारों बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का अवसर दिया।
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पुरस्कारों और उपलब्धियों की फेहरिस्त जिसे गिनते गिनते वक्त लग जाए
- 1994 — गणतंत्र दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय कैडेट कोर “सी” प्रमाणपत्र धारक के रूप में राजपथ, नई दिल्ली में बिहार का प्रतिनिधित्व।
- राष्ट्रीय और अंतरराज्यीय भाषण व वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में लगातार प्रथम और द्वितीय स्थान — पटना, दिल्ली, डुमरांव, आरा से लेकर देश के कई मंचों तक।
- भोजपुर जिले में साइकिल और स्कूटर चलाने वाली पहली महिला बनकर रूढ़ियों को तोड़ा।
- 1992-93 में नेहरू युवा केंद्र द्वारा युवा पुरस्कार से सम्मानित।
- महिला सशक्तिकरण पुरस्कार (2019) और भूमिका संस्था सम्मान (2021) प्राप्त।
- वर्तमान में यूथ हॉस्टल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (बिहार इकाई) की राज्य उपाध्यक्ष और नगर रामलीला समिति ट्रस्ट आरा की अध्यक्षा।
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जुनून जो आज भी बरकरार
किताबें पढ़ना, गरीब बच्चों की शिक्षा के लिए काम करना और महिलाओं के उत्थान में नई राहें बनाना — डॉ. अर्चना के लिए ये महज़ शौक नहीं, बल्कि जीवन का मिशन है। उनका मानना है, “जब तक हम समाज को लौटाते नहीं, तब तक शिक्षा अधूरी है।”
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आरा की गलियों से लेकर राष्ट्रीय मंच तक का उनका सफर इस बात का सबूत है कि अगर जज़्बा हो, तो न कोई मंज़िल दूर है और न कोई सपनों का आसमान ऊँचा.
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