पटना/लखीसराय : बिहार की राजनीति में एक नया विवाद तब खड़ा हो गया जब कांग्रेस ने राज्य के उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा पर गंभीर आरोप लगाए. कांग्रेस के बिहार आधिकारिक फेसबुक पेज पर डाले गए एक पोस्ट में दावा किया गया है कि विजय सिन्हा एक नहीं, बल्कि दो विधानसभा क्षेत्रों में मतदाता के रूप में पंजीकृत हैं.
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कांग्रेस के अनुसार, उपमुख्यमंत्री का नाम लखीसराय और पटना की बांकीपुर विधानसभा, दोनों जगहों के मतदाता सूची ड्राफ्ट में शामिल है. यही नहीं, दोनों जगह उन्होंने SIR (शुद्धिकरण, नामांकन, रजिस्ट्रेशन) फॉर्म भी भर रखा है. कांग्रेस ने सवाल उठाया है कि यह कैसे संभव हुआ, जबकि चुनाव आयोग के नियम स्पष्ट रूप से एक व्यक्ति को केवल एक ही निर्वाचन क्षेत्र में मतदाता बनने की अनुमति देते हैं.
कांग्रेस ने अपने पोस्ट में यह भी पूछा है कि क्या विजय सिन्हा ने पिछले चुनावों में दोनों जगह से वोट डाला था? अगर हां, तो क्या यह सीधे तौर पर चुनाव आचार संहिता और जन प्रतिनिधित्व कानून का उल्लंघन नहीं है?
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पार्टी का आरोप है कि चुनाव आयोग ने नियमों के खिलाफ जाकर उपमुख्यमंत्री को दो अलग-अलग जगहों से मताधिकार दे दिया. कांग्रेस ने सवाल किया—“क्या चुनाव आयोग के नियम सिर्फ दलितों, पिछड़ों, गरीबों और मजदूरों के लिए हैं, और भाजपा नेताओं के लिए नहीं?”
कांग्रेस ने इस मुद्दे को भाजपा और चुनाव आयोग के बीच “गठजोड़” का नतीजा बताया है. पार्टी ने दावा किया कि इस तरह की गड़बड़ियां पूरे देश में हो रही हैं—कहीं एक पते पर 80-80 वोट पंजीकृत हैं, तो कहीं एक व्यक्ति 4-4 बार वोट डाल रहा है.
पोस्ट में यहां तक कहा गया—“चुनाव आयोग और भाजपाई, चोर–चोर मौसेरे भाई!”
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कांग्रेस ने इस पूरे मामले पर तत्काल FIR दर्ज करने और उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा के इस्तीफ़े की मांग की है. साथ ही चुनाव आयोग से भी जवाब तलब किया है कि नियमों के विरुद्ध दो जगह नाम कैसे ड्राफ्ट लिस्ट में शामिल हो गया.
इस मामले पर अब तक भाजपा या खुद विजय सिन्हा की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है. वहीं, राजद समेत विपक्षी दलों ने भी कांग्रेस के इस पोस्ट को हाथों-हाथ लेते हुए भाजपा पर निशाना साधना शुरू कर दिया है.
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राजनीतिक जानकार मानते हैं कि अगर आरोपों में तथ्य हैं तो यह मामला कानूनी रूप से गंभीर है और विजय सिन्हा की छवि पर बड़ा असर डाल सकता है.
यह मामला अब चुनाव आयोग के लिए भी बड़ी चुनौती बन गया है. नियम के अनुसार, एक व्यक्ति का नाम केवल एक ही विधानसभा क्षेत्र में पंजीकृत हो सकता है, और यदि किसी का नाम दो जगह है तो उसे तुरंत हटाना और जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई करना आवश्यक है.
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अब देखना होगा कि आयोग इस मामले में त्वरित जांच कर पारदर्शिता बनाए रखता है या फिर यह मुद्दा आने वाले चुनावों तक राजनीतिक हथियार बना रहेगा.
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