कप्तानगंज (कुशीनगर) जनपद कुशीनगर के छोटे से गांव सिधावें पठान पट्टी के निवासी शैलेश कुमार यादव ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम रोशन किया है. वर्तमान में आईआईटी पटना में भूविज्ञान एवं पर्यावरण संरक्षण (Geoscience & Environmental Conservation) विषय पर शोधरत शैलेश का शोध कार्य अमेरिका की प्रतिष्ठित संस्था American Society of Civil Engineers (ASCE) की प्रसिद्ध पत्रिका “Journal of Materials in Civil Engineering” में प्रकाशित हुआ है. शैलेश ने अपने सह-शोधकर्ता रामकृष्ण बाग के साथ मिलकर यह अध्ययन किया, जिसका विषय था “बांस बायोचार का मिट्टी की गुणवत्ता और जल धारण क्षमता पर प्रभाव.”
शोध का निष्कर्ष
अध्ययन से यह निष्कर्ष निकला कि बांस बायोचार (Bamboo Biochar) मिट्टी की जल धारण क्षमता को बढ़ाने के साथ उसकी संपीड़नशीलता (Compressibility) और हाइड्रोलिक कंडक्टिविटी (Hydraulic Conductivity) में भी सुधार करता है, इससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है और यह तकनीक जल संरक्षण तथा प्राकृतिक संसाधनों के सतत प्रबंधन में अत्यंत उपयोगी साबित हो सकती है.
वैश्विक उपयोगिता
शोधकर्ताओं के अनुसार, बांस बायोचार का उपयोग भारत सहित चीन, दक्षिण पूर्व एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका जैसे देशों में मिट्टी सुधार, अपशिष्ट प्रबंधन और पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रभावी रूप से किया जा सकता है.
गौरव का क्षण
यह उपलब्धि न केवल आईआईटी पटना के लिए, बल्कि पूरे भारत और कुशीनगर जनपद के लिए गर्व का विषय है. ग्रामीण पृष्ठभूमि से निकलकर अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी प्रतिभा साबित करने वाले शैलेश कुमार यादव ने दिखाया कि मेहनत, लगन और ज्ञान से कोई भी सीमाएं पार की जा सकती हैं.
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
शैलेश की इस सफलता पर जनपदवासियों ने हर्ष जताया और उन्हें बधाई दी, लोगों ने कहा कि शैलेश जैसे युवाओं से नई पीढ़ी को प्रेरणा मिलेगी कि गांव से भी वैश्विक उपलब्धियां हासिल की जा सकती हैं.
रिपोर्ट-गिरजेश गोविन्द राव/कप्तानगंज
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