मुरादाबाद: सिविल लाइंस क्षेत्र की बेशकीमती नजूल भूमि गाटा संख्या–470 को लेकर मुरादाबाद में प्रशासन हरकत में आ गया है. लगभग 4.95 एकड़ (20032 वर्गमीटर) की इस भूमि में से सिर्फ 2713 वर्गमीटर फ्री होल्ड है, जबकि 17318 वर्गमीटर जमीन सरकारी नजूल संपत्ति है, जिस पर लंबे समय से कब्जे, निर्माण और प्लॉटिंग का खेल चल रहा था.
मुख्यमंत्री जनसुनवाई पोर्टल पर की गई शिकायत के बाद जिलाधिकारी अनुज सिंह ने इस मामले में सख्त रुख अपनाते हुए मुरादाबाद विकास प्राधिकरण (MDA) को जांच और भूमि की सुरक्षा के निर्देश दिए हैं.
डीएम ने एमडीए को दिया निर्देश – फ्री होल्ड छोड़कर बाकी जमीन करें सुरक्षित
जिलाधिकारी अनुज सिंह ने आदेश दिया है कि फ्री होल्ड हिस्से को छोड़कर बाकी नजूल भूमि को शासन हित में सुरक्षित किया जाए, उन्होंने स्पष्ट कहा है कि जो भी व्यक्ति इस जमीन पर अवैध रूप से कब्जा या निर्माण कर चुका है, उसे चिन्हित कर रिपोर्ट तैयार की जाए.
इस भूमि पर डॉ. मंजेश राठी का DMR हॉस्पिटल सहित कई प्रतिष्ठान मौजूद हैं. अब ये सभी अपने-अपने स्तर पर भूमि को फ्री होल्ड बताकर दावा पेश करने में जुटे हैं, लेकिन किसी ने भी अब तक अपने दस्तावेज सार्वजनिक नहीं किए हैं.
नजूल भूमि पर निर्माण और नामांतरण नियमों के विरुद्ध
डीएम कार्यालय से जारी पत्र में बताया गया है कि गाटा संख्या–470 (पुराना प्लॉट नंबर–129), ग्राम छावनी की यह जमीन मूल रूप से श्रीमती भागीरथी उर्फ कुट्टी पुत्री मीर खां को आवासीय प्रयोजनार्थ पट्टे पर दी गई थी.
नजूल मैनुअल के पैरा 67 में स्पष्ट लिखा है कि किसी भी नजूल भूमि का स्थायी पट्टा (Perpetual Lease) किसी भी शर्त पर नहीं दिया जा सकता. इसके बावजूद इस भूमि पर निर्माण, प्लॉटिंग और नामांतरण जैसी गतिविधियां की गईं, जो पूरी तरह से नियमों के विरुद्ध हैं.
फॉर्म ‘सी’ में भी स्पष्ट प्रावधान है कि नजूल भूमि पर कोई निर्माण कार्य या नामांतरण जिलाधिकारी की अनुमति के बिना नहीं किया जा सकता. इसके बावजूद संबंधित पक्षों ने अनुमति लिए बिना निर्माण किया और फ्री होल्ड के नाम पर कब्जा जमा लिया.
नगर आयुक्त को भी मिली चेतावनी – अवैध एनओसी तुरंत निरस्त करें
डीएम ने नगर आयुक्त को भी पत्र की प्रतिलिपि भेजते हुए कहा है कि यदि नजूल भूखण्ड संख्या–470 की फ्री होल्ड सीमा से अधिक क्षेत्रफल पर भवन स्वीकृति या अनापत्ति प्रमाणपत्र (NOC) जारी हुआ है, तो उसे तुरंत निरस्त किया जाए. उन्होंने कहा कि यह न केवल नियमविरुद्ध है बल्कि शासन के हित के प्रतिकूल भी है.
अरबों की सरकारी संपत्ति पर कब्जे का खुलासा संभव
सूत्रों के अनुसार, यदि इस भूमि की निष्पक्ष पैमाइश और अभिलेखीय जांच कराई गई, तो अरबों रुपये की सरकारी संपत्ति पर वर्षों से चल रहे कब्जे और हेरफेर का बड़ा खुलासा हो सकता है. जानकारी के मुताबिक, डीएम के आदेश के बाद एमडीए की टीम ने भूमि का सर्वे शुरू कर दिया है और कब्जाधारियों की पहचान की जा रही है, यह क्षेत्र मुरादाबाद की सबसे महंगी और चर्चित जमीनों में से एक माना जाता है.
अब जो भी व्यक्ति इस भूमि पर निर्माण कर चुका है या फ्री होल्ड का दावा कर रहा है, उसे अपने दस्तावेज और नामांतरण आदेश प्रस्तुत करने होंगे, प्रशासन ने साफ कहा है — “सरकारी जमीन पर कब्जा अब किसी भी कीमत पर नहीं बचेगा.
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