मथुरा: विजयादशमी पर जहां पूरे देश में बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में रावण दहन किया गया, वहीं श्रीकृष्ण की नगरी मथुरा में एक अलग परंपरा देखने को मिली. यमुना पुल स्थित शिव मंदिर परिसर में लंकेश भक्त मंडल ने विधि-विधान से रावण की पूजा-अर्चना की और पुतला दहन का विरोध किया.
रावण को मानते हैं आदर्श
भक्तों का कहना है कि रावण त्रिकालदर्शी, चारों वेदों के ज्ञाता और परम शिव भक्त थे, उनका तर्क है कि रावण ने माता सीता को कभी स्पर्श नहीं किया और वे एक आदर्श व्यक्तित्व थे.
पुतला दहन के खिलाफ आवाज
लंकेश भक्त मंडल से जुड़े एडवोकेट ओमवीर सारस्वत ने कहा, “रावण हमारे कुल के राजा और विद्वान थे. वे भगवान राम के भी आचार्य थे और सीता को पुत्री समान मानते थे, उनके संस्कारों को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए. हम पुतला दहन रोकने के लिए अदालत भी जा चुके हैं.”
उठे सवाल
मथुरा की इस अनूठी परंपरा ने दशहरे पर नई बहस को जन्म दिया है कि क्या रावण की बुराइयों के साथ-साथ उनके ज्ञान और भक्ति को भी सम्मान मिलना चाहिए.
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