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कुशीनगर के Child की मौत: प्रशासन और स्वास्थ्य टीम की फुल मोनिटरिंग

Kushinagar child deaths

कुशीनगर जिले के नेबुआ नौरंगिया पिपरा खुर्द की दलित बस्ती में 24 घंटे के भीतर दो बच्चों की मौत ने पूरे इलाके में दहशत मचा दी है. शुरुआती लक्षणों में बुखार, सर्दी और खांसी शामिल थे, इसके बाद बच्चों को झटका आने जैसे गंभीर लक्षण दिखाई दिए। वहीं, पिछले एक सप्ताह में इस ब्लॉक में पांच बच्चों की मौत हो चुकी है. सभी मृतक बच्चों का इलाज गोरखपुर के उच्च स्तरीय मेडिकल सेंटर में किया जा रहा था.

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मृत बच्चों की कहानियां
एक दिसम्बर को पिपरा खुर्द निवासी राजकुमार के 7 वर्षीय बेटे सागर उर्फ बादल की गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान मौत हो गई. मृतक के दादा ने बताया कि सागर दो बड़ी बहनों और एक छोटे भाई के बाद तीसरे नंबर के बच्चे थे। उनकी तबीयत कुछ दिनों से खराब थी, लेकिन छह से सात दिनों में हालत बिगड़ गई, शुरू में इलाके के झोलाछाप डॉक्टरों से इलाज कराया गया, फिर रामकोला सीएचसी और जिला अस्पताल में भी इलाज हुआ, लेकिन इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई.

पड़ोस के रामानंद के तीन साल के बेटे अंश की भी लगभग इसी तरह मौत हुई। अंश को भी बुखार, खांसी और झटके जैसे लक्षण दिखाई दिए थे. शुरुआती इलाज झोलाछाप डॉक्टरों ने किया, इसके बाद उसे सीएचसी और जिला अस्पताल भेजा गया और अंततः मेडिकल कॉलेज में उसकी भी मौत हो गई, दोनों परिवारों के पिता मजदूरी कर घर चलाते हैं. स्थानीय स्वच्छता, जल निकासी और शुद्ध पेयजल की कोई व्यवस्था न होने के कारण इलाके में स्वास्थ्य संकट की स्थिति है.

स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई
दो बच्चों की मौत की जानकारी मिलते ही स्वास्थ्य और प्रशासनिक अमला गांव में पहुंचा, सफाई कर्मियों की ड्यूटी लगाई गई और स्वास्थ्य विभाग की टीम ने बच्चों और ग्रामीणों का परीक्षण शुरू किया। अब तक 110 बच्चों की स्क्रीनिंग की गई, जिनमें सात में बुखार और खांसी जैसे लक्षण पाए गए.

कुशीनगर डीएम महेंद्र सिंह तवर के नेतृत्व में स्वास्थ्य टीम, सीएचसी प्रभारी और अन्य अधिकारी मौके पर मौजूद हैं, डीएम ने पीड़ित परिवारों से मुलाकात कर घटनाक्रम जाना और स्वास्थ्य विभाग को पूरे गांव और आसपास के इलाके की स्क्रीनिंग के निर्देश दिए, डीएम महेंद्र सिंह तवर ने बताया कि नेबुआ नौरंगिया ब्लॉक के ढोलहा गांव में तीन बच्चों की मौत हुई थी. गंभीरता को देखते हुए डॉक्टरों की तीन शिफ्ट में 24 घंटे निगरानी शुरू कराई गई. अब तक 800 लोगों की जांच की गई, जिनमें 18 बच्चों में बीमारी के लक्षण पाए गए.

स्वास्थ्य विभाग के अनुसार प्रारंभिक जांच में बच्चों में लेप्टोस्पायरोसिस (Leptospirosis) बीमारी के लक्षण पाए गए हैं. यह बैक्टीरियल संक्रमण मुख्यतः पशुओं के मूत्र से दूषित पानी या मिट्टी के संपर्क में आने से फैलता है, यह बीमारी मनुष्य से मनुष्य में नहीं फैलती. अधिकारियों ने गांववासियों को जागरूक किया और इलाज, पहचान और रोकथाम की कार्रवाई शुरू कर दी है.

रिपोर्टर रितेश पाण्डेय

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