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बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर बोले – अब श्रीकृष्ण जन्मभूमि की बारी

मथुरा में बुधवार को बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पूज्य धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी महाराज ने ‘अक्षत महोत्सव’ में शिरकत की. यह आयोजन आगामी ‘सनातन एकता पदयात्रा’ के निमंत्रण स्वरूप किया गया, जिसके माध्यम से ब्रज के हर घर तक पीले अक्षत (चावल) के रूप में निमंत्रण पहुंचाया जाएगा.

ब्रजवासियों को मिला पदयात्रा का निमंत्रण
धीरेंद्र शास्त्री ने कार्यक्रम में ग्राम प्रधानों, जनप्रतिनिधियों, पुजारियों, धर्माचार्यों और समाजसेवियों को पीले अक्षत भेंट कर 7 नवंबर से आरंभ होने वाली ‘सनातन एकता पदयात्रा’ के लिए आमंत्रित किया, यह पदयात्रा दिल्ली से शुरू होकर 16 नवंबर को वृंदावन में संपन्न होगी.

यह केवल यात्रा नहीं, वैचारिक आंदोलन है
मंच से संबोधित करते हुए धीरेंद्र शास्त्री ने कहा — “यह यात्रा सिर्फ धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि सनातनियों को एकजुट करने का वैचारिक आंदोलन है. हमें जात-पात, भेदभाव छोड़कर एक साथ खड़ा होना होगा,” उन्होंने बताया कि यह यात्रा ‘श्री बागेश्वर बालाजी का श्री बांके बिहारी से मिलन’ के प्रतीक के रूप में आयोजित की जा रही है.

श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर बयान
कार्यक्रम के दौरान धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा — “त्रेता युग के भगवान श्रीराम का मंदिर बन चुका है, अब द्वापर के भगवान श्रीकृष्ण की बारी है. सनातन धर्म को अब पहले से अधिक संगठित होने की आवश्यकता है,” उनके इस बयान पर कार्यक्रम स्थल तालियों से गूंज उठा.

महोत्सव से शुरू हुआ जनसंपर्क अभियान
‘अक्षत महोत्सव’ के माध्यम से ब्रज क्षेत्र में सनातन एकता पदयात्रा के लिए जनसंपर्क अभियान की औपचारिक शुरुआत हो गई है. आयोजन में हजारों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे, विशेषज्ञों का मानना है कि यह यात्रा मथुरा-वृंदावन में एक बड़ा धार्मिक और वैचारिक संदेश छोड़ेगी, जो आने वाले समय में सनातन समाज के संगठन को और मजबूती देगा.

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