ब्रजभूमि मथुरा एक बार फिर धार्मिक उत्साह और सनातन एकता के संदेश से गूंजने वाली है. बागेश्वर धाम सरकार के पीठाधीश्वर श्री धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी महाराज की आगामी “सनातन एकता पदयात्रा” से पहले अब ‘अक्षत महोत्सव’ की तैयारियां जोरों पर हैं. यह भव्य आयोजन 15 अक्टूबर 2025 को गोवर्धन रोड स्थित श्रीजी बाबा सरस्वती विद्या मंदिर, मथुरा में आयोजित किया जाएगा.
नवंबर में निकलेगी ‘सनातन एकता पदयात्रा’ — दिल्ली से वृंदावन तक लाखों श्रद्धालु होंगे शामिल
आगामी नवंबर में आयोजित होने जा रही इस ऐतिहासिक पदयात्रा का नाम रखा गया है — “श्री बागेश्वर बालाजी श्री बांके बिहारी मिलन – सनातन एकता पदयात्रा”.
यह यात्रा दिल्ली से वृंदावन तक निकलेगी, जिसमें देशभर से लाखों सनातन प्रेमियों और श्रद्धालुओं के शामिल होने की उम्मीद है. इस पदयात्रा का उद्देश्य है — सनातन धर्म की एकता, मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि की महत्ता और भारत की सांस्कृतिक अखंडता का प्रसार.
15 अक्टूबर को अक्षत महोत्सव — जन-जन तक निमंत्रण पहुंचाने की पहल
पदयात्रा से पूर्व जन-जागरण और निमंत्रण अभियान के रूप में आयोजित किया जा रहा यह ‘अक्षत महोत्सव’ एक धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन होगा, इसमें स्वयं धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी महाराज उपस्थित रहेंगे और श्रद्धालुओं को ‘अक्षत’ (पीले चावल) प्रदान करेंगे — जिसे सनातन परंपरा में शुभ निमंत्रण का प्रतीक माना जाता है.
महोत्सव के दौरान उपस्थित ग्राम प्रधान, सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधि और जनप्रतिनिधि धीरेंद्र शास्त्री के हाथों से अक्षत ग्रहण करेंगे और फिर इन अक्षतों को घर-घर पहुंचाकर लोगों को पदयात्रा में शामिल होने का आमंत्रण देंगे.
महोत्सव में जुटेंगे हजारों श्रद्धालु — सामाजिक समरसता का संदेश भी रहेगा केंद्र में
आयोजन समिति के सदस्य रोहित रिछारिया ने बताया कि “हजारों लोग इस अक्षत वितरण कार्यक्रम में भाग लेने मथुरा पहुंचेंगे, यह आयोजन केवल निमंत्रण तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसमें सामाजिक समरसता, मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि की गरिमा और हिंदू राष्ट्र की अवधारणा जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी चर्चा होगी.”
उन्होंने आगे कहा कि यह ‘अक्षत महोत्सव’ सनातन धर्म के प्रति जनजागरूकता बढ़ाने और पदयात्रा के लिए जनसमर्थन जुटाने की दिशा में पहला बड़ा कदम है.
पदयात्रा का उद्देश्य — सनातन धर्म की एकता और सांस्कृतिक पुनर्जागरण
“सनातन एकता पदयात्रा” का मकसद केवल धार्मिक भावनाओं को जोड़ना नहीं, बल्कि पूरे भारत में सांस्कृतिक एकता, नैतिकता और धर्म-संरक्षण के संदेश को फैलाना है. बागेश्वर धाम सरकार के अनुयायी और विभिन्न सामाजिक संगठन इसे “सनातन जागरण का अभियान” मान रहे हैं.
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