मुरादाबाद जिले में पराली और गन्ने की पत्तियां जलाने पर प्रशासन ने सख्त रुख अपनाया है. उप कृषि निदेशक संतोष कुमार द्विवेदी ने जानकारी दी कि वित्तीय वर्ष 2025-26 में अब तक 7 किसानों पर कुल 35,000 रुपये का अर्थदंड लगाया गया है. पराली जलाने की घटनाओं की निगरानी के लिए राजस्व विभाग, कृषि विभाग और पुलिस विभाग की संयुक्त टीमें बनाई गई हैं, जो जिलाधिकारी के आदेश पर लगातार कार्रवाई कर रही हैं.
सैटेलाइट से मिलती है पराली जलाने की सूचना
प्रशासन को पराली जलाने की जानकारी सीधे सैटेलाइट से मिल रही है, हर लोकेशन के साथ अक्षांश, देशांतर और स्थल विवरण उपलब्ध होता है, इसके आधार पर संबंधित विभाग के अधिकारी मौके पर जाकर जांच करते हैं और रिपोर्ट तैयार करते हैं.
जुर्माने की व्यवस्था
कृषि विभाग के अनुसार पराली जलाने पर किसानों पर निम्नानुसार जुर्माना लगाया जाता है. 2 एकड़ तक: ₹5,0002 से 5 एकड़, तक: ₹10,000, 5 एकड़ से अधिक: ₹30,000 साथ ही, दोषी किसानों को कृषि विभाग की योजनाओं के लाभ से वंचित किया जा सकता है और गन्ना कृषकों का सट्टा भी लॉक किया जाएगा.
पराली जलाने से बढ़ती बीमारियां
उप कृषि निदेशक ने बताया कि पराली या फसल अवशेष जलाने से कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड जैसी जहरीली गैसें निकलती हैं, जो श्वास संबंधी रोग, त्वचा संबंधी समस्याएं, पर्यावरण प्रदूषण मिट्टी के सूक्ष्म जीवों का नष्ट होने का कारण बनती हैं, इससे खेत की उर्वरक क्षमता घटती है और पैदावार भी कम हो जाती है.
पराली से खाद बनाने की सलाह
किसानों को पराली जलाने के बजाय मल्चिंग करने, पराली को सड़ा कर खाद बनाने की सलाह दी गई है, इससे मिट्टी में कार्बन, नाइट्रोजन और अन्य पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ती है, जिसके परिणामस्वरूप फसल उत्पादन में सुधार होता है.
गौशालाओं को पराली दान करने पर सुविधा
जो किसान पराली गौशालाओं को दान में देना चाहते हैं, प्रशासन उनकी पराली सीधे खेत से उठवाकर गौशाला तक पहुंचाने की व्यवस्था करेगा.
किसानों से अपील
उप कृषि निदेशक ने किसानों से अपील की है कि वे धान की पराली या गन्ने की पत्तियां न जलाएं, पर्यावरण को सुरक्षित रखें और उपलब्ध विकल्पों का उपयोग करें.
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