जब किसी भी व्यक्ति के साथ किसी भी प्रकार का अपराध या धोखाधड़ी होती है तो वह न्याय के लिए अपने लोकल के थाने में जाता है. वहां पर सबसे पहले एक लिखित शिकायती प्रार्थना देता है. जिसके बाद पुलिस एफआईआर दर्ज कर पूरे प्रकरण की जांच करती है. लेकिन कई बार देखने को मिलता है कि पुलिस एफआईआर दर्ज करने से इनकार कर देती है. तब ऐसे में लोग नहीं जानते कि उनको क्या कदम उठाने चाहिए. FIR दर्ज न होने पर लोग डर में चुपचाप घर चले आते और न्याय की उम्मीद छोड़ देते हैं. पुलिस के डांटने और धमकाने के आरोपों के मामले लगातार सोशल मीडिया पर देखने को मिलते हैं, लेकिन कभी आपके साथ ऐसा हो तो कई दूसरे कानूनी तरीके अपना सकते हैं.
सवाल–अगर पुलिस एफआईआर दर्ज करने से करे इंकार तो नागरिकों के पास क्या है कानूनी अधिकार?
जबाव – एडवोकेट हर्ष पांडे के अनुसार किसी उक्त व्यक्ति बनाम उत्तर प्रदेश सरकार के मामले में गंभीर अपराध की शिकायत मिलने पर यदि न्यायालय द्वारा आदेशित किया जाता है तो पुलिस को बिना किसी देरी के एफआईआर दर्ज करनी होगी.
- यदि थाने में पुलिस के द्वारा पीड़ित के शिकायती प्रार्थनापत्र पर एफआईआर दर्ज करने से मना किया जाता है, तो पीड़ित को चाहिए कि,वह उच्च अधिकारियों के दफ्तर जाकर लिखित शिकायती प्रार्थना पत्र दे.
- यदि उच्च अधिकारी के द्वारा भी पुलिस को FIR दर्ज करने के लिए आदेशित नहीं किया जाता है,तो पीड़ित न्यायिक मजिस्ट्रेट के पास आवेदन कर सकते है,जिसमें संहिता की धारा 156 (3) के तहत मजिट्रेट पुलिस को मामले की जांच कर FIR दर्ज करने का आदेश दे सकते हैं.
- यदि मजिट्रेट के द्वारा भी कोई आदेश नहीं किया जाता तो पीड़ित हाइकोर्ट में जाकर याचिका भी दायर कर सकते हैं, और FIR का आदेश करवा सकते हैं.
क्या पुलिस कर्मी पर कोई कानूनी कार्रवाई की जा सकती है?
यदि पुलिस का कोई अधिकारी FIR दर्ज करने से मना करता है,तो उसकी शिकायत के लिए निम्न कदम उठाए जा सकते हैं–
विभागीय शिकायत
- पुलिस अधीक्षक (SP) या अन्य उच्च अधिकारियों को उस पुलिसकर्मी के खिलाफ करवाई की मांग की जा सकती है.
न्यायालय में शिकायत
पीड़ित न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश होकर पुलिस कर्मी के ऊपर कार्रवाई की मांग कर सकता है, भारतीय न्याय संहिता (BNS), के अनुसार जो सरकारी अधिकारी अपने कर्तव्यों का पालन नहीं करता है,उसपर 2 साल तक की जेल व जुर्माना हो सकता है .
क्या ऑनलाइन भी FIR करवा सकते है?
भारत के कई प्रदेश ऐसे हैं जहां पर e–FIR की जा सकती है किन्तु e–FIR केवल सामान्य अपराधों जैसे चोरी, साइबर क्राइम के लिए की जाती है, गंभीर अपराधों जैसे हत्या, बलात्कार जैसे मामलों के लिए थाने में जाना आवश्यक होता है.
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