छपरा : सारण जिले में बाढ़ का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है. गंगा, गंडक, सरयू और सोन नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ा है. निचले इलाकों में पानी भर गया है.लोगों के घरों में बाढ़ का पानी घुस गया है. खेत, खलिहान, मकान और फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गई हैं. सब्जी की खेती भी डूब गई है. किसान बेबस हैं.
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बाढ़ का असर अब शहरी इलाकों तक पहुंच गया है. छपरा शहर के नगर पालिका चौक पर भी पानी भर गया है. यह पानी नदियों के जलस्तर बढ़ने से आया है. वीर कुंवर सिंह सेतु के चारों ओर सिर्फ पानी ही नजर आ रहा है. दियारा के कई गांव पूरी तरह जलमग्न हो चुके हैं.
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छपरा-पटना मुख्य मार्ग के निचले इलाकों में रहने वाले लोग सबसे ज्यादा प्रभावित हैं. उनके घर, खेत और मवेशी सब पानी में डूबे हैं. कई लोग अपने जानवरों के साथ सड़क के डिवाइडर पर शरण लिए हुए हैं. हालात इतने खराब हैं कि अंतिम संस्कार के लिए भी जगह नहीं बची है. लोग छपरा-पटना मुख्य मार्ग पर ही अंतिम संस्कार कर रहे हैं. आमी घाट पर पानी इतना बढ़ गया है कि वहां अंतिम संस्कार संभव नहीं है. मजबूरी में लोग सड़कों के किनारे शवों का दाह संस्कार कर रहे हैं.
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छपरा के शहरी इलाकों में भी पानी भर गया है. खनुआ नाला का निर्माण अधूरा है. इसी कारण लोगों को बाढ़ का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. मोना चौक, सरकारी बाजार, दलदली रोड, नगर पालिका चौक, साहेबगंज और सोनार पट्टी में पानी भर चुका है.
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पिछले 4-5 दिनों में पानी बहुत तेजी से बढ़ा है.लोग ऊंची जगहों पर शरण लिए हुए हैं. कई घरों की निचली मंजिलें डूब चुकी हैं.लोग ऊपरी मंजिलों पर रह रहे हैं. मांझी, दीलिया, रहीमपुर, डोरीगंज, झौआ ढाला, आमी, दिघवारा, शीतलपुर, नयागांव, परमानंदपुर और सोनपुर में भी बाढ़ का कहर जारी है.
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अब तक जिला प्रशासन की ओर से कोई राहत सामग्री नहीं पहुंची है. बाढ़ पीड़ितों में प्रशासन के प्रति नाराजगी है. प्रशासन का दावा है कि सामुदायिक किचन और राहत सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है. लेकिन यह अब तक लोगों तक नहीं पहुंची है.
छपरा से पंकज श्रीवास्तव की रिपोर्ट …
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