टोक्यो/बेगूसराय : भारतीय संस्कृति की शक्ति और आस्था की पराकाष्ठा का अद्भुत दृश्य उस वक्त देखने को मिला, जब जापान की राजधानी टोक्यो की सड़कों पर “बोल बम” के नारों से वातावरण गूंज उठा. मौका था कांवड़ यात्रा का, जिसमें बिहार के बेगूसराय जिले से गए एक प्रवासी भारतीय परिवार समेत जापान में बसे अनेक भारतीय श्रद्धालुओं ने भाग लिया.
Muzaffarpur : खाकी की कलम से बदल रही ज़िंदगियाँ!
यह आयोजन केवल धार्मिक नहीं था, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक विरासत को अंतरराष्ट्रीय मंच पर दर्शाने का जीवंत उदाहरण बन गया. इस आयोजन में जापान में बसे बिहार और झारखंड के लोगों द्वारा सक्रिय भागीदारी की गई, जिसकी अगुवाई Bihar-Jharkhand Association of Japan (BJAJ) और Bihar Foundation Japan Chapter ने की.
Rail News : लखीसराय स्टेशन का नया लुक देख दंग रह जाएंगे, वंदे भारत एक्सप्रेस का हुआ विस्तार!
यात्रा की शुरुआत टोक्यो के फुनाबोरी स्थित श्री राधा-कृष्ण मंदिर से हुई, जहां विधिवत पूजा-पाठ के बाद कांवड़ियों ने गंगाजल से भरे कलश उठाए. यह गंगाजल खास तौर पर बिहार के सुलतानगंज से मंगवाया गया था. गंगाजल मंगवाने का उद्देश्य था जापान में रहकर भी भारतीय रीति-रिवाजों का यथासंभव पालन करना. श्रद्धालु इस पवित्र जल को लेकर करीब 82 किलोमीटर दूर साइतामा तक पहुंचे और वहां एक शिव मंदिर में जलाभिषेक किया.
Nalanda : नेपुरा की सिल्क बुनाई बनी मिसाल, राष्ट्रीय मंच पर मिली पहचान
इस अवसर पर जापान में भारत के राजदूत सीबी जॉर्ज भी उपस्थित रहे. उन्होंने न केवल कार्यक्रम का उद्घाटन किया बल्कि इसे भारत-जापान के बीच सांस्कृतिक संबंधों को सुदृढ़ करने वाला कदम बताया.
Bhagalpur : बाढ़ की लहरें भी नहीं रोक सकीं प्यार की बारात!
बेगूसराय के परिवार ने अपनी भूमिका निभाते हुए इस आयोजन में न केवल बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया बल्कि जापान में रह रहे अन्य भारतीयों को भी जोड़ने में मदद की. इस परिवार के सदस्यों ने पारंपरिक वेशभूषा, भगवा वस्त्र और माथे पर चंदन टीका लगाकर नाचते-गाते पूरी आस्था और श्रद्धा से यात्रा पूरी की.
Bihar : फैसलों की बारिश: मुफ्त बिजली, नई नौकरी, पेंशन और बर्खास्तगी!
यात्रा के दौरान श्रद्धालु ‘बोल बम’, ‘हर हर महादेव’, और ‘जय शिव शंकर’ के जयकारे लगाते हुए चले, जिससे जापान की सड़कों पर भारतीय संस्कृति की झलक दिखी. जापानी नागरिकों के लिए यह अनुभव नया और रोमांचक था. कई स्थानीय लोगों ने कांवड़ियों की तस्वीरें लीं, उन्हें शुभकामनाएं दीं और इस सांस्कृतिक आयोजन में रुचि दिखाई.
Sheohar : बारिश की आस में उठे सैकड़ों हाथ, मुस्लिम समुदाय ने अदा की नमाज-ए-इस्तिस्का!
इस अनूठे आयोजन ने यह साबित कर दिया कि भारत की संस्कृति और परंपराएं सीमाओं में बंधी नहीं रहतीं. चाहे दुनिया के किसी भी कोने में हों, भारतीय आस्था और श्रद्धा को जीवित रखने में पीछे नहीं रहते. जापान में पहली बार हुई यह कांवड़ यात्रा अब हर साल आयोजित करने की योजना बनाई जा रही है, जिसमें और अधिक भारतीय समुदाय को जोड़ने का प्रयास होगा.
Kaimur : रहस्य, आशीर्वाद, मनोकामना : बाबा वैद्यनाथधाम
यह आयोजन न सिर्फ श्रद्धा का प्रतीक था, बल्कि भारत और जापान के सांस्कृतिक मेल-जोल की एक मजबूत कड़ी भी बन गया.

लेखक परिचय: रंजीत कुमार सम्राट सहारा समय (डिजिटल) के बिहार हेड हैं. 20 साल से बिहार के हर जिले की सियासत पर गहरी नज़र रखते हैं. पिछले दो दशक से बिहार की हर खबर को अलग नजरिये से पाठक को समझाते रहे हैं.
Leave a Reply