आरा : भोजपुर पुलिस की लंबी तलाश के बाद आखिरकार बेलाउर का कुख्यात अपराधी बूटन चौधरी STF के हत्थे चढ़ गया. मुंबई की गलियों से फिल्मी अंदाज़ में गिरफ्तारी की खबर जैसे ही आई, भोजपुर पुलिस महकमे में राहत की सांस ली गई. बूटन के सिर पर 2 लाख रुपए का इनाम बिहार पुलिस ने घोषित किया था और वह सालों से फरार था.
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बूटन चौधरी भोजपुर जिले में दहशत का दूसरा नाम बन चुका था. उसके खिलाफ हत्या, गैंगवार और अवैध हथियार रखने समेत पांच से अधिक संगीन मामले दर्ज हैं. इस गिरफ्तारी को अपराध जगत पर बिहार STF का करारा प्रहार माना जा रहा है.
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मुंबई से गिरफ्तारी के बाद भोजपुर पुलिस ने बेलाउर गांव में छापेमारी की, जिसमें हथियारों का जखीरा बरामद हुआ. यह छापेमारी स्थानीय लोगों और अधिकारियों दोनों के लिए बड़ी सफलता मानी जा रही है.
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बूटन चौधरी का नाम उस कुख्यात बूटन–रंजीत गैंगवार से जुड़ा है, जिसने भोजपुर की गलियों को सालों तक गोलियों की आवाज़ से दहला रखा. बेलाउर गांव के रहने वाले बूटन और रंजीत कभी इतने करीबी थे कि उन्हें “एक जान दो शरीर” कहा जाता था. लेकिन 2011-12 में जमीन के विवाद ने दोस्ती को दुश्मनी में बदल दिया. इसके बाद शुरू हुई खूनी गैंगवार में दर्जनों घर उजड़ गए. बूटन ने अपने भतीजे को खोया, तो रंजीत ने भाई को.
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2011 के पंचायत चुनाव में बूटन ने अपनी ताक़त का प्रदर्शन करते हुए अपने नौकर की पत्नी चंपा देवी को मुखिया बनवाया. इसके बाद उसने खुलेआम AK-47 और आधुनिक हथियारों का प्रदर्शन करना शुरू किया. यही उसकी असली पहचान बन गई. 2016 में भी STF ने उसे AK-47 और पिस्टल के साथ गिरफ्तार किया था. उसी साल पंचायत चुनाव प्रचार के दौरान हुई हेमंत चौधरी और उसके बेटे मनीष राय की हत्या के मामले में भी उसका नाम सामने आया. कोर्ट ने उस केस में बूटन को सात साल और उसके भाई उपेंद्र को तीन साल की सजा सुनाई थी.
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लंबे समय से फरार बूटन चौधरी अब मुंबई में अपनी पकड़ मजबूत कर रहा था, लेकिन बिहार STF की कार्रवाई ने उसके साम्राज्य को बड़ा झटका दिया है. स्थानीय लोग कह रहे हैं कि “अब शायद AK-47 की गूंज से गांव की गलियां शांत हों.”

ओ.पी.पांडेय – आरा
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