लखीसराय: लखीसराय विधानसभा क्षेत्र बिहार की राजनीति का एक ऐसा संवेदनशील और अहम इलाका है, जहाँ पिछले डेढ़ दशक से चुनावी मुकाबले हमेशा रोचक और प्रतिस्पर्धात्मक रहे हैं. इस क्षेत्र में बीजेपी के विजय कुमार सिन्हा लगातार तीसरी बार जीत की हैट्रिक लगाने वाले पहले विधायक हैं. उन्होंने 2010, 2015 और 2020 के चुनाव में मतदाताओं का विश्वास हासिल किया और अब 2025 में पांचवीं पारी की चुनौती के सामने हैं.
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विजय कुमार सिन्हा का राजनीतिक सफर इस क्षेत्र में गहरी पैठ और जनसंपर्क का उदाहरण है. उन्होंने लखीसराय विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हुए बिहार सरकार में कई महत्वपूर्ण पद संभाले. 2017-2020 तक श्रम संसाधन मंत्री के रूप में उन्होंने राज्य के मजदूरों और रोजगार नीतियों पर ध्यान केंद्रित किया. 2020 के विधानसभा चुनाव जीत के बाद उन्हें बिहार विधानसभा का अध्यक्ष चुना गया, एक संवैधानिक और गरिमापूर्ण पद, जिसे उन्होंने अगस्त 2022 तक संभाला. इसके बाद 2022-2024 तक वे विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे. जनवरी 2024 में एनडीए में बिहार सरकार की वापसी के बाद उन्हें उपमुख्यमंत्री के पद पर नियुक्त किया गया. यह अनुभव उन्हें लखीसराय में एक मजबूत और निर्णायक राजनीतिक चेहरे के रूप में प्रस्तुत करता है.
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हालांकि, 2025 के चुनाव में विजय कुमार सिन्हा के सामने चुनौती भी कम नहीं है. महागठबंधन से संभावित उम्मीदवारों की चर्चाएँ जोरों पर हैं. कांग्रेस पार्टी ने पिछली बार लखीसराय में बीजेपी को कड़ी टक्कर दी थी. 2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी अमरेश कुमार अनीस ने विजय कुमार सिन्हा के खिलाफ लगभग 10,483 मतों का अंतर पैदा किया था. माना जा रहा है कि इस बार कांग्रेस उन्हें फिर से मैदान में उतार सकती है, जबकि आरजेडी भी इस सीट पर अपनी मजबूत दावेदारी जताने के लिए तैयार है.
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लखीसराय का चुनावी इतिहास भी विजय कुमार सिन्हा के पक्ष में है. 1977 से अब तक इस क्षेत्र में बीजेपी ने सबसे अधिक 5 बार जीत दर्ज की है. जनता पार्टी और जनता दल ने दो-दो बार, जबकि कांग्रेस को केवल 1980 में एक बार सफलता मिली थी और राजद ने अक्टूबर 2005 में जीत हासिल की थी. विजय कुमार सिन्हा ने 2010 के चुनाव में सबसे बड़े अंतर से फुलेना सिंह (राजद) को हराया था. 2015 में उन्होंने जेडीयू प्रत्याशी रामानंद मंडल को 6,556 मतों से पराजित किया, जबकि 2020 में कांग्रेस के अमरेश कुमार अनीस को 10,483 मतों से मात दी. यह आंकड़े उनके मजबूत जनाधार और लखीसराय विधानसभा में पकड़ का प्रमाण हैं.
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राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि विजय कुमार सिन्हा की लगातार जीत का कारण सिर्फ पार्टी की शक्ति नहीं है, बल्कि उनका जनसंपर्क और स्थानीय मुद्दों पर सक्रियता भी है. श्रम, रोजगार, स्थानीय विकास और ग्रामीण कल्याण योजनाओं में उनकी पहल ने मतदाताओं में विश्वास बढ़ाया है. इसके साथ ही उपमुख्यमंत्री के रूप में उनका पद उन्हें अधिक निर्णायक और प्रभावशाली बनाता है.
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इस बार चुनाव के आसपास महागठबंधन की रणनीति और राहुल गांधी सहित राष्ट्रीय नेताओं की रैलियों ने भी चुनावी हवा को गर्म कर दिया है. कांग्रेस और आरजेडी की संभावित तैयारियाँ लखीसराय विधानसभा में बीजेपी के लिए चुनौतीपूर्ण हैं. विशेष रूप से आरजेडी के मजबूत यादव वोट बैंक और कांग्रेस के पुराने समर्थन ने चुनाव को और प्रतिस्पर्धात्मक बना दिया है. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि विजय कुमार सिन्हा को केवल पार्टी की ताकत पर भरोसा नहीं करना होगा, बल्कि उन्हें स्थानीय और युवा मतदाताओं के बीच अपनी लोकप्रियता को मजबूत करना होगा.
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स्थानीय नागरिक और राजनीतिक कार्यकर्ता इस बार भी लखीसराय विधानसभा में विजय कुमार सिन्हा की जीत की संभावनाओं को लेकर उत्साहित हैं, लेकिन यह भी स्पष्ट है कि महागठबंधन की तैयारी और बदलते राजनीतिक माहौल ने चुनाव को बेहद रोमांचक और अनिश्चित बना दिया है.
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2025 के लखीसराय विधानसभा चुनाव में यह देखा जाना बाकी है कि क्या विजय कुमार सिन्हा अपनी हैट्रिक को आगे भी कायम रख पाएंगे या महागठबंधन की सक्रिय तैयारियों के बीच नया समीकरण सामने आएगा. जनता की राय, राष्ट्रीय और राज्यस्तरीय राजनीतिक घटनाएं, और स्थानीय मुद्दों पर विजय कुमार सिन्हा की पकड़ इस चुनाव को रोचक और निर्णायक बना देंगी.
