राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत कहते रहते हैं कि संघ के लिए व्यक्ति-पूजा का कोई स्थान नहीं है, बल्कि विचारों और सिद्धांतों का अनुसरण किया जाता है. संघ मुखिया के बयान मीडिया की सुर्खियां बटोरकर रह जाती हैं, उनके विचारों के सभ्य चेहरों को उनके प्रचारक का सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा विडियो धोकर नंगा कर दिया.
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व्यक्ति पूजा पर बाबा साहब के विचार
25 नवम्बर 1947 के अपने संविधान सभा के भाषण में जॉन स्टुअर्ट मिल का उदाहरण देते हुए बाबासाहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर कहते हैं, ” भक्ति अथवा व्यक्ति पूजा हमारे देश की राजनीति में दूसरे राष्ट्रों की अपेक्षा अधिक है. धर्म के क्षेत्र में भक्ति आत्मोद्धार का मार्ग हो सकती है. परन्तु राजनीति एवं राष्ट्र के परिप्रेक्ष्य में भक्ति एवं व्यक्ति पूजा अपरिहार्य रूप से पतन लाती है और अन्ततः तानाशाही में परिणत होती है.”
घटना क्या है?
बिहार के समस्तीपुर के आरएसएस के जिला प्रचारक साहिल सिंह राठौड़ का जन्मदिन मनाया जा रहा था. जिला प्रचारक खुद को भगवान श्रीराम बनकर बैठे हैं. उनका स्तुति गान चल रहा है. श्रीराम स्तुति है, जिसका अर्थ है कि दीनों पर दया करने वाले और कौशल्या के हितकारी, भगवान श्री राम (जिन्होंने विष्णु के रूप में जन्म लिया था) प्रकट हुए हैं. यह स्तुति श्री रामचरितमानस के बालकांड में है और तुलसीदासजी द्वारा रची गई है, जिसमें प्रभु राम के जन्म के समय माता कौशल्या के आनंद और अद्भुत रूप का वर्णन है.
RSS के अधिकारियों का इस मामले पर कमेंट
उत्तर पूर्व क्षेत्र कार्यवाह RSS मोहन सिंह ने कहा कि इस मामले की मुझे जानकारी नहीं है. आप प्रचार प्रमुख को अवगत कराकर विषय की जानकारी ले लीजिए.
प्रांत प्रचारक भी मामले पर स्पष्ट बोलने से कतरा रहे हैं. प्रचार प्रमुख राजेश पांडेय ने कहा कि यह संघ की शैली नहीं है. त्रुटि हुई है.
हालांकि स्वंय सेवकों के बीच इस विडियो को लेकर चर्चा जोरों पर है. अधिकांश स्वंय सेवक इस पर आपत्ति जता रहे हैं.

























