बिहार विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद लालू परिवार में राजनीतिक खटपट बढ़ गई है. लालू यादव को किडनी देने वाली उनकी बेटी रोहिणी आचार्य ने शनिवार को घोषणा की कि वह राजनीति छोड़ रही हैं और अपने परिवार से नाता तोड़ रही हैं. रोहिणी ने X पर लिखा, “संजय यादव और रमीज ने मुझसे ऐसा करने को कहा था, मैं सारा दोष अपने ऊपर ले रही हूं.”
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संजय यादव, जो तेजस्वी यादव के रणनीतिक सलाहकार और RJD के राज्यसभा सांसद हैं, पर रोहिणी की नाराजगी का मुख्य केंद्र माना जा रहा है. वहीं, रमीज यूपी के बलरामपुर के रहने वाले हैं और पूर्व सांसद रिजवान जहीर के दामाद हैं. वे RJD के सोशल मीडिया और चुनाव प्रबंधन में सक्रिय रहे हैं.
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इस साल मई में लालू यादव ने अपने बड़े बेटे तेजप्रताप यादव को पार्टी और परिवार से निकाल दिया था. तेजप्रताप ने संजय यादव को ही इस फैसले का जिम्मेदार बताया था. चुनाव परिणामों के अनुसार RJD को महज 25 सीटें मिलीं, जबकि 2020 में पार्टी ने 75 सीटें जीती थीं. तेजप्रताप करीब 50 हजार वोटों से हारे, जबकि तेजस्वी अपनी सीट बचाने में सफल रहे.
रोहिणी की नाराजगी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने पार्टी और परिवार के सभी सदस्यों को सोशल मीडिया से अनफॉलो कर दिया. उनके इस कदम के बाद परिवार में राजनीतिक मतभेद सार्वजनिक हो गए.
संजय यादव की तेजस्वी पर बढ़ती पकड़ और प्रभाव ने लालू परिवार में विवाद और बढ़ा दिया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, तेजस्वी की राजनीतिक रणनीति और निर्णयों में संजय यादव की सलाह निर्णायक रही है.
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संजय और तेजस्वी की मुलाकात दिल्ली में 2012 के आसपास हुई थी. इसके बाद संजय ने नौकरी छोड़कर बिहार में तेजस्वी के राजनीतिक मार्गदर्शन में सक्रिय भूमिका निभाई. उन्होंने डिजिटल और तकनीकी रूप से RJD की कार्यप्रणाली में बदलाव किए.
रोहिणी आचार्य ने अपने पोस्ट में परिवार और मर्यादा का हवाला देते हुए कहा कि जो लोग अपने विवेक त्यागकर परिवार की प्रतिष्ठा को चोट पहुंचाते हैं, वे आलोचना के पात्र बनते हैं. तेज प्रताप यादव ने भी बेदखली के 35 दिन बाद ‘जन शक्ति मोर्चा‘ बनाया और निर्दलीय चुनाव लड़ा, लेकिन उनके सभी कैंडिडेट हार गए और वे अपनी सीट भी बचा नहीं पाए.
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इससे स्पष्ट होता है कि लालू परिवार में राजनीतिक और व्यक्तिगत तनाव के बीच बड़े बदलाव और आंतरिक विवाद गहराते जा रहे हैं.

























