देशभर के 272 रिटायर्ड जजों, ब्यूरोक्रेट्स और सैन्य अधिकारियों ने बुधवार को एक ओपन लेटर जारी किया है. इसमें लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी पर आरोप लगाया गया है कि वे चुनाव आयोग जैसी संवैधानिक संस्था की छवि खराब करने की कोशिश कर रहे हैं. लेटर में 16 पूर्व जज, 123 पूर्व ब्यूरोक्रेट और 133 रिटायर्ड सैन्य अधिकारियों के हस्ताक्षर हैं.
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ओपन लेटर में कहा गया है कि कांग्रेस लगातार संवैधानिक संस्थाओं पर सवाल उठाकर लोकतांत्रिक व्यवस्था में अनावश्यक अविश्वास पैदा कर रही है. पत्र में यह भी उल्लेख है कि चुनाव आयोग भारत की लोकतांत्रिक प्रणाली का केंद्रीय स्तंभ है और उस पर बार-बार आरोप लगाने से जनता का भरोसा कमजोर होता है.
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पूर्व अधिकारियों के अनुसार, राहुल गांधी ने बिना किसी आधिकारिक शिकायत या दस्तावेज के चुनाव आयोग पर “वोट चोरी” का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि हारते ही विपक्ष आयोग पर सवाल उठाता है, जबकि चुनाव जीतने पर कोई आरोप नहीं लगता. इसे राजनीतिक अवसरवाद बताया गया है.
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पत्र में टीएन शेषन और एन. गोपालस्वामी जैसे पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्तों के कार्यकाल का उल्लेख करते हुए कहा गया कि आयोग हमेशा मजबूत और निष्पक्ष संस्था रहा है. इसलिए उस पर बेबुनियाद हमले लोकतंत्र के लिए हानिकारक हैं.
राहुल गांधी ने अब तक तीन प्रेस कॉन्फ्रेंस कर चुनाव आयोग पर वोट चोरी और गड़बड़ी के आरोप लगाए हैं. 4 नवंबर को उन्होंने बिहार में वोटर लिस्ट से नाम हटाए जाने के आरोप लगाए थे. 18 सितंबर और 7 अगस्त को भी उन्होंने ECI पर गंभीर सवाल उठाए थे.
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ओपन लेटर पर हस्ताक्षर करने वालों में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज आदर्श कुमार गोयल, पूर्व जज हेमंत गुप्ता, पूर्व RAW चीफ संजीव त्रिपाठी और NIA के पूर्व डायरेक्टर योगेश चंद्र मोदी जैसे नाम शामिल हैं.
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कांग्रेस ने इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि वह चुनावी प्रक्रियाओं में पारदर्शिता की मांग करती रहेगी और दिसंबर के पहले हफ्ते में दिल्ली के रामलीला मैदान में SIR के खिलाफ रैली भी आयोजित करेगी.

























