मुजफ्फरपुर के पारू थाना क्षेत्र के मोहजम्मा गांव में अमेरिकन बुलडॉग के हमले से 3 साल की बच्ची शिवानी की मौत हो गई. बच्ची को गंभीर हालत में SKMCH लाया गया था, जहां इलाज के दौरान बुधवार को उसकी मौत हो गई.
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परिजनों के अनुसार, मंगलवार शाम बच्ची अपने भाई-बहनों के साथ गांव में देवी स्थान पर पूजा देखने जा रही थी. इसी दौरान गांव का एक युवक अपने बुलडॉग को जंजीर से पकड़कर टहल रहा था. अचानक उसके हाथ से जंजीर छूट गई और कुत्ता बच्चों पर टूट पड़ा. दो बच्चे किसी तरह भाग गए, लेकिन कुत्ते ने शिवानी को जबड़े से पकड़कर खेत की ओर घसीटना शुरू कर दिया.
बच्ची के पिता कमलेश सहनी ने बताया कि बुलडॉग ने शिवानी के सिर की चमड़ी समेत बाल नोंच लिए. बच्ची बुरी तरह घायल होकर बेहोश हो गई. परिजन उसे तुरंत CHC ले गए, जहां से उसे SKMCH रेफर किया गया. वहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. शिवानी चार भाई-बहनों में सबसे छोटी थी.
परिजनों का कहना है कि गांव के दबंग परिवार ने 15 दिन पहले ही सोनपुर मेले से बुलडॉग की एक जोड़ी खरीदी थी. घटना के बाद गांव में दहशत का माहौल है.
SKMCH के डॉक्टर विजय भारद्वाज ने बताया कि बच्ची के सिर पर गंभीर चोटें थीं और काफी खून बह चुका था. देर से अस्पताल पहुंचने की वजह से उसकी जान नहीं बचाई जा सकी.
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पारू थाना प्रभारी चंदन कुमार ने बताया कि परिजनों से लिखित शिकायत मांगी गई है. शिकायत मिलने पर केस दर्ज किया जाएगा. अगर परिजन शिकायत दर्ज नहीं कराते हैं, तो पुलिस चौकीदार के बयान के आधार पर मामला दर्ज करेगी.
अमेरिकन बुलडॉग भारत में प्रतिबंधित नस्ल है. केंद्र सरकार ने इसे खतरनाक कुत्तों की सूची में शामिल करते हुए इसकी खरीद-बिक्री, आयात-निर्यात और ब्रीडिंग पर रोक लगा रखी है. जिनके पास पहले से यह नस्ल है, उन्हें इसे रजिस्टर कराना अनिवार्य था.
पशु व्यवहार विशेषज्ञों के अनुसार, कुत्तों का व्यवहार खान-पान और माहौल के कारण बदल जाता है. पागल या आक्रामक कुत्ते डर की प्रतिक्रिया में काटते हैं. ऐसे कुत्तों की आंखें लाल हो जाती हैं, मुंह से लार टपकती रहती है और वे लगातार मूवमेंट में रहते हैं. मांस खाने के बाद कई कुत्ते आदमखोर भी हो जाते हैं और अपने शिकार को छोड़ते नहीं हैं.


























