मुजफ्फरपुर: जिले में गुरुवार को आयोजित एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) के कार्यकर्ता सम्मेलन में भारी हंगामा देखने को मिला. जारंग हाईस्कूल मैदान में हुए इस सम्मेलन में जेडीयू और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के समर्थक आपस में भिड़ गए. टिकट को लेकर लंबे समय से चल रही खींचतान आखिरकार खुले मंच पर फूट पड़ी. देखते ही देखते सम्मेलन का माहौल नारेबाजी, धक्का-मुक्की और तोड़फोड़ में बदल गया.
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जानकारी के अनुसार, गायघाट विधानसभा सीट से जेडीयू के पूर्व विधायक महेश्वर प्रसाद यादव के बेटे प्रभात किरण और लोजपा (रामविलास) की पूर्व प्रत्याशी कोमल सिंह के बीच टिकट को लेकर कई महीनों से विवाद चल रहा है. कोमल सिंह राज्यसभा सदस्य दिनेश सिंह और सांसद वीणा देवी की पुत्री हैं. दोनों नेताओं के समर्थक एक-दूसरे के खिलाफ लगातार बयानबाजी कर रहे थे. गुरुवार को कार्यकर्ता सम्मेलन के दौरान दोनों गुटों के समर्थक आमने-सामने आ गए और नारेबाजी शुरू हो गई.
शुरुआत में यह नारेबाजी केवल शक्ति प्रदर्शन तक सीमित थी, लेकिन थोड़ी ही देर में मामला हाथापाई तक पहुंच गया. बताया जाता है कि गुस्साए कार्यकर्ताओं ने एक-दूसरे पर कुर्सियां फेंकनी शुरू कर दीं. मंच पर भी तनाव बढ़ गया और प्रभात किरण तथा कोमल सिंह के बीच तीखी बहस हो गई. इस दौरान कई बार ऐसा लगा कि बात हाथापाई तक पहुंच सकती है. अफरातफरी के बीच समर्थकों ने मंच पर रखी टेबल पलट दी और कई कुर्सियां तोड़ डालीं.
बढ़ते तनाव के कारण कार्यक्रम स्थल पर भगदड़ जैसी स्थिति बन गई. स्थानीय पुलिस और सुरक्षा बलों को बीच-बचाव करना पड़ा. मौके पर मौजूद नेताओं ने किसी तरह भीड़ को शांत कराने की कोशिश की, लेकिन तब तक काफी नुकसान हो चुका था. प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, इस झड़प में कम से कम 12 लोग घायल हो गए हैं. घायलों को नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है.
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इस घटना ने एनडीए की अंदरूनी कलह को एक बार फिर उजागर कर दिया है. आगामी विधानसभा चुनाव से पहले गठबंधन के भीतर टिकट को लेकर बढ़ते विवाद अब सार्वजनिक हो रहे हैं. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि यदि ऐसी घटनाएं लगातार होती रहीं तो यह एनडीए की चुनावी रणनीति के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है. वहीं, घटना के बाद जिला प्रशासन ने सम्मेलन स्थल पर सुरक्षा व्यवस्था को कड़ा कर दिया है और दोनों गुटों के नेताओं से शांति बनाए रखने की अपील की है.
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मुजफ्फरपुर में हुए इस बवाल ने यह साफ कर दिया है कि सीट बंटवारे को लेकर एनडीए के भीतर तनाव अपने चरम पर है. अब देखना यह होगा कि शीर्ष नेतृत्व इस विवाद को कैसे सुलझाता है और कार्यकर्ताओं के बीच बिगड़े माहौल को सामान्य करने के लिए क्या कदम उठाए जाते हैं.