महागठबंधन ने मंगलवार को बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए अपना घोषणापत्र जारी किया. पिछली बार की तरह इस बार भी इसे ‘तेजस्वी का प्रण’ नाम दिया गया है. घोषणा पत्र में युवाओं, महिलाओं, किसानों और सरकारी कर्मचारियों पर खास फोकस किया गया है. तेजस्वी यादव ने 20 महीने में हर परिवार से एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने का वादा किया है. इस हिसाब से करीब 2.8 करोड़ लोगों को नौकरी देने का दावा किया गया है.
महिलाओं को लुभाने के लिए “माई बहन मान योजना” की घोषणा की गई है. इसके तहत महिलाओं को हर महीने 2500 रुपए और सालाना 30 हजार रुपए दिए जाएंगे. साथ ही हर अनुमंडल में महिला कॉलेज और 136 प्रखंडों में डिग्री कॉलेज खोलने की बात कही गई है. तेजस्वी यादव ने कहा कि बिहार के विकास में महिलाओं की अहम भूमिका होगी.
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संविदा और आउटसोर्सिंग पर काम कर रहे लगभग 4 लाख कर्मचारियों को स्थायी करने की बात कही गई है. इसके साथ ही पुरानी पेंशन योजना लागू करने का वादा भी किया गया है. शिक्षकों और स्वास्थ्यकर्मियों के लिए नई ट्रांसफर नीति लाने का ऐलान किया गया है, जिसके तहत उन्हें गृह जिले से 70 किलोमीटर के दायरे में ट्रांसफर किया जा सकेगा.
अतिपिछड़ा वर्ग के लिए तेजस्वी यादव ने “अतिपिछड़ा अत्याचार निवारण अधिनियम” पारित करने का वादा किया है. इसके साथ ही उन्होंने आबादी के अनुपात में आरक्षण और हिस्सेदारी की बात दोहराई है.
किसानों के लिए महागठबंधन ने हर फसल पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तय करने और बिहार में मंडी व्यवस्था को फिर से शुरू करने की घोषणा की है. बटाईदार किसानों को भी अधिकार देने का भरोसा दिया गया है.
घोषणापत्र जारी होने के बाद राजनीतिक हलकों में चर्चा तेज हो गई है. पत्रकार प्रवीण बागी ने कहा कि तेजस्वी यादव के वादे लोकलुभावन जरूर हैं, लेकिन इतने बड़े पैमाने पर नौकरियां देने का कोई ठोस रोडमैप नहीं बताया गया है. उन्होंने कहा कि बिहार के बजट में इतनी बड़ी संख्या में भर्तियां संभव नहीं दिखतीं.
महागठबंधन के इस घोषणा पत्र से स्पष्ट है कि 2025 का चुनाव रोजगार, महिलाओं और किसानों के मुद्दे पर लड़ा जाएगा. अब देखना यह होगा कि जनता ‘तेजस्वी के प्रण’ पर कितना भरोसा जताती है.


























