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Lakhisarai : विजयादशमी पर लाल रंग में रंगी महिलाएं… सिंदूर खेला से गूंज उठा लखीसराय का बड़ा दुर्गा मंदिर!

लखीसराय: विजयादशमी का पर्व भारतीय संस्कृति में शक्ति की आराधना और असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक माना जाता है. इस अवसर पर मां दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है और सुहागिन महिलाएं पारंपरिक रीति से मां को विदाई देती हैं. इसी कड़ी में गुरुवार को लखीसराय शहर के विभिन्न दुर्गा पूजा पंडालों में सुहागिन महिलाओं ने मां दुर्गा को सिंदूर अर्पित किया और एक-दूसरे को सिंदूर लगाकर उल्लासपूर्ण माहौल में ‘सिंदूर खेला’ का आयोजन किया.

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शहर के नया बाजार स्थित बड़ी दुर्गा मंदिर में सुबह से ही महिलाओं की भीड़ उमड़ पड़ी. पारंपरिक परिधानों में सजी महिलाएं मां दुर्गा की प्रतिमा के सामने पहुंचीं और सिंदूर अर्पित कर अपने परिवार की सुख-समृद्धि और अखंड सौभाग्य की प्रार्थना की. इसके बाद सभी ने एक-दूसरे की मांग और ललाट पर सिंदूर लगाकर होली जैसा दृश्य बना दिया. लाल रंग में रंगी महिलाओं का यह उत्सव देखने लायक था.

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सिंदूर खेला के दौरान महिलाओं ने माता रानी के गीत गाए और देवी मां की विदाई बेला को हर्षोल्लास के साथ मनाया. विदाई की इस बेला में खोंइछा भरने की परंपरा भी निभाई गई. महिलाओं ने एक-दूसरे को शुभकामनाएं देते हुए देवी मां से यह प्रार्थना की कि वे सदा सुहागिन बनी रहें और परिवार में सुख-शांति बनी रहे.

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धार्मिक मान्यता है कि सिंदूर खेला की परंपरा पश्चिम बंगाल से शुरू हुई थी. वहां से यह परंपरा बिहार और देश के अन्य हिस्सों में फैली. विजयादशमी के दिन देवी दुर्गा को स्नेहपूर्वक विदा करने और उन्हें पुनः अगले वर्ष बुलाने की यह एक विशेष विधि है. लखीसराय के अलावा जिले के अन्य इलाकों में भी दुर्गा प्रतिमाओं के सामने सुहागिनों ने इसी परंपरा को निभाया.

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मां दुर्गा की आराधना और सिंदूर खेला के इस आयोजन ने पूरे शहर में उत्साह का माहौल बना दिया. जहां एक ओर विदाई का भावुक क्षण था, वहीं दूसरी ओर सुहागिन महिलाओं के चेहरे पर उल्लास और विश्वास की झलक स्पष्ट दिखाई दी. विजयादशमी का यह पर्व समाज को शक्ति, साहस और सौहार्द का संदेश देता है और मां दुर्गा की पूजा-अर्चना के साथ संपन्न होता है.

कृष्णदेव प्रसाद यादव, लखीसराय.