जदयू ने अपने 11 नेताओं को पार्टी से निष्कासित कर दिया है. यह कार्रवाई उन नेताओं के खिलाफ की गई, जो कथित रूप से पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल पाए गए थे. पार्टी ने स्पष्ट किया है कि अनुशासन बनाए रखना और संगठन की एकता सुनिश्चित करना इस कदम का मुख्य उद्देश्य है.
इस निष्कासन सूची में कई वरिष्ठ और पूर्व विधायकों का नाम शामिल है. इसमें पूर्व मंत्री शैलेश कुमार, पूर्व विधान पार्षद संजय प्रसाद, पूर्व विधायक श्याम बहादुर सिंह, पूर्व विधान पार्षद रणविजय सिंह, पूर्व विधायक सुदर्शन कुमार और अमर कुमार सिंह शामिल हैं. इसके अलावा, महुआ से जदयू की पूर्व प्रत्याशी आस्मां परवीन, लव कुमार, आशा सुमन, दिव्यांशु भारद्वाज और विवेक शुक्ला भी निष्कासित किए गए हैं.
शैलेश कुमार 2020 में जमालपुर सीट से चुनाव हार चुके थे और इस बार उन्होंने निर्दलीय रूप से चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है. श्याम बहादुर सिंह भी पिछली बार सीवान के बड़हरिया सीट से चुनाव हार चुके हैं और इस बार उनका टिकट काट दिया गया, जिसके बाद वे भी निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में हैं. पार्टी के अनुसार, यह निर्णय उन नेताओं के खिलाफ अनुशासनहीनता और पार्टी के खिलाफ गतिविधियों को लेकर लिया गया है.
विश्लेषकों का कहना है कि जदयू का यह कदम आगामी विधानसभा चुनावों से पहले संगठन को मजबूत करने और विद्रोही प्रवृत्तियों को रोकने की कोशिश है. निष्कासित नेताओं का भविष्य राजनीतिक रूप से अनिश्चित माना जा रहा है. इस कदम के बाद राज्य की राजनीतिक हलचल तेज हो गई है और विरोधियों द्वारा इसे चुनावी रणनीति का हिस्सा बताया जा रहा है.
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कुल मिलाकर, जदयू ने यह स्पष्ट संदेश दिया है कि पार्टी के अनुशासन और संगठन की एकता को किसी भी कीमत पर बनाए रखा जाएगा, और पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल नेताओं के लिए कोई स्थान नहीं है.


























