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Ara : परदेस से बेटियाँ-बेटे दौड़े… लेकिन अपने ही घर की सरकार गायब!

आरा: जबईनिया गांव में हुई दर्दनाक त्रासदी ने न केवल बिहार को झकझोर दिया, बल्कि सात समंदर पार बसे प्रवासी बिहारी समुदाय के दिलों को भी दुखी कर दिया है. अमेरिका स्थित “ओवरसीज ऑर्गेनाइजेशन फॉर बेटर बिहार, यूएसए” की प्रमुख मनिषा पाठक और सह-प्रमुख कल्पना कुमारी ने पीड़ित परिवारों के प्रति गहरी संवेदना प्रकट की और हर संभव मदद का आश्वासन दिया.

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भावुक स्वर में मनिषा पाठक ने कहा – “हम जहां भी रहते हों, हमारी जड़ें बिहार से जुड़ी हैं. जबईनिया के लोगों का दर्द हमारा दर्द है. हम अपने भारत स्थित साथियों के साथ मिलकर गांव तक राहत सामग्री पहुंचा रहे हैं और आगे भी हर कदम पर साथ खड़े रहेंगे.”

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संस्था के भारत स्थित सदस्य लगातार जरूरतमंद परिवारों तक खाद्य सामग्री, कपड़े और घरेलू उपयोग की जरूरी वस्तुएं पहुंचा रहे हैं. राहत कार्य का नेतृत्व जितेंद्र दूबे कर रहे हैं, जिनके साथ कविता दूबे, राजू पांडेय, लक्ष्मण मिश्रा, गुंजन कुमार, पवन पांडेय, गुप्तेश्वरी देवी, गिरिजाशंकर समेत कई कार्यकर्ता तन-मन से जुटे हुए हैं.

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जबईनिया गांव की गलियों में राहत सामग्री लेकर पहुंचे इन कार्यकर्ताओं को देखकर गांववासियों की आंखें भर आईं. एक वृद्ध महिला ने कहा – “भगवान ऐसे बेटियों और बेटों को सलामत रखे. हम अकेले नहीं हैं, यह देखकर दिल को सुकून मिलता है.”

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बच्चों के चेहरों पर उम्मीद की नई किरण दिखाई दे रही है. त्रासदी के अंधेरे में संवेदना और सहयोग की यह लौ गांववालों को नया संबल दे रही है.

रिपोर्ट: ओ.पी.पांडेय, आरा.

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