गयाजी: बिहार के गया जी में विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला आज 21 सितंबर 2025 को अपने 15 दिनों के आयोजन का अंतिम दिन है. आशिन कृष्ण अमावस्या की तिथि पर समाप्त होने वाले इस मेले में अक्षय भट्ट पर पिंडदान और ब्राह्मण भोज का विशेष विधान निभाया गया. जिला प्रशासन के अनुसार इस वर्ष मेले में करीब 30 लाख तीर्थयात्री पहुंचे, जिनमें से 20 सितंबर तक 28,50,000 से अधिक श्रद्धालुओं ने पिंडदान किया.
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पितृपक्ष मेले के अंतिम दिन अक्षय भट्ट पर पिंडदान पूरे विधि विधान के साथ किया जाता है. मान्यता है कि पिंडदान से पितरों को अक्षय बट और ब्राह्मण लोक की प्राप्ति होती है. पिंडदान के बाद गायकपाल द्वारा तीर्थ यात्रियों का सफल विदाई संस्कार किया जाता है.
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पुराणों के अनुसार, गया जी में पिंडदान करने की प्रथा अत्यधिक पवित्र मानी जाती है. कथा है कि माता सीता ने राजा दशरथ के पिंडदान के समय केवल अक्षय वट साक्षी बना और सच बोला, जिसके फलस्वरूप माता सीता को अमृत का वरदान प्राप्त हुआ. यही कारण है कि आज भी अक्षय वट विधि को अमृत फल देने वाली माना जाता है.
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पितृपक्ष मेला के अंतिम दिन पिंडदानियों की भीड़ उमड़ पड़ी. जिला प्रशासन ने तीर्थयात्रियों के लिए व्यापक सुरक्षा और सुविधा के इंतजाम किए. श्रद्धालुओं ने उत्साह और श्रद्धा के साथ पिंडदान किया और गया जी तथा प्रशासन का धन्यवाद ज्ञापित किया.
रिपोर्ट: चंदन कुमार, गयाजी.