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Politics : आज़ादी के बाद पहली बार पटना में कांग्रेस की CWC बैठक! 76 सीटों पर दांव, राजद से टकराव की आहट… प्रियंका की सभा बनेगी मास्टरस्ट्रोक?

पटना: बिहार की सियासत इन दिनों गरम है और इसकी वजह सिर्फ विधानसभा चुनाव नहीं, बल्कि कांग्रेस का वह ऐतिहासिक कदम है, जो अब तक कभी नहीं हुआ. आज़ादी के बाद पहली बार कांग्रेस की विस्तारित कार्यसमिति (CWC) की बैठक 24 सितंबर को पटना के सदाकत आश्रम में होने जा रही है. पार्टी इसे केवल बैठक नहीं, बल्कि “शक्ति प्रदर्शन” बताकर मैदान में उतरने वाली है.

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इस बैठक का एजेंडा बिल्कुल साफ है— बिहार विधानसभा चुनाव. कांग्रेस ने यहां अपनी कमर कस ली है और 76 सीटों पर फोकस करके चुनावी समीकरण बदलने की तैयारी कर रही है.

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76 सीटों पर कांग्रेस का दांव

सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस ने इन 76 सीटों को 7 क्लस्टरों में बांटा है. हर क्लस्टर पर चुनाव प्रभारी नियुक्त किए गए हैं और जिम्मेदारी दूसरे राज्यों से आए दिग्गज नेताओं को सौंपी गई है. इसका मकसद यह है कि ग्रासरूट स्तर पर संगठन मजबूत हो और वोटर आधार का विस्तार किया जा सके.

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सबसे अहम बात यह है कि पार्टी जल्द ही 38 सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान करने जा रही है. यानी कांग्रेस अब और इंतज़ार नहीं करना चाहती. लेकिन पेंच यह है कि INDIA गठबंधन में अभी तक सीट शेयरिंग पर सहमति नहीं बनी है. अगर राजद के साथ बात नहीं बनी, तो कांग्रेस कुछ सीटों पर “फ्रेंडली फाइट” के लिए भी तैयार है.

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हाईकमान चुनेगा उम्मीदवार

गुरुवार को पटना के सदाकत आश्रम में हुई प्रदेश चुनाव अभियान समिति की बैठक में तय किया गया कि उम्मीदवारों के नाम पर अंतिम फैसला दिल्ली का हाईकमान ही करेगा. प्रदेश प्रभारी कृष्णा अल्लावारू और अध्यक्ष राजेश राम ने कहा कि कई सीटों पर दो-तीन दावेदार हैं, इसलिए हाईकमान का फैसला ही मान्य होगा.

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लेकिन बैठक के दौरान अचानक पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह और पूर्व विधायक दल नेता अजीत शर्मा का बीच में उठकर जाना चर्चा का विषय बन गया. भले ही दोनों नेताओं ने निजी कार्यक्रम का हवाला दिया, लेकिन राजनीतिक गलियारों में इसे मतभेद के रूप में देखा जा रहा है.

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पप्पू यादव की मौजूदगी और बढ़ी हलचल

पूर्णिया सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव भी इस बैठक में मौजूद रहे. यह बात खास इसलिए है क्योंकि पप्पू यादव अभी औपचारिक तौर पर कांग्रेस के सदस्य नहीं हैं. हालांकि, इससे पहले भी उन्हें राहुल गांधी की मौजूदगी में दिल्ली में हुई रणनीतिक बैठक में देखा गया था. अब यह सवाल उठ रहा है कि क्या पप्पू यादव बिहार में कांग्रेस के तुरुप का इक्का साबित होंगे?

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गांधी परिवार का शो ऑफ़ पावर

CWC की बैठक में सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी समेत कांग्रेस के टॉप 100 नेता मौजूद रहेंगे. इसमें कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्री भी शामिल होंगे. इसे बिहार की धरती पर कांग्रेस का बड़ा शक्ति प्रदर्शन माना जा रहा है.

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इतिहास के पन्नों पर नज़र डालें तो इससे पहले 1912, 1922 और 1940 में कांग्रेस की केंद्रीय कार्यसमिति की बैठक पटना में हो चुकी है. लेकिन आज़ादी के बाद यह पहली बार है, जब ऐसा आयोजन होने जा रहा है.

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प्रियंका की पहली सभा बनेगी गेमचेंजर?

बैठक के साथ ही कांग्रेस ने 26 सितंबर को पूर्णिया में प्रियंका गांधी की पहली चुनावी सभा तय की है. इसकी सफलता और मॉनिटरिंग के लिए एक विशेष समिति बनाई गई है. कांग्रेस को उम्मीद है कि प्रियंका का करिश्मा बिहार की महिलाओं और युवाओं को पार्टी से जोड़ सकता है.

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राहुल गांधी पहले ही वोटर अधिकार यात्रा से बिहार में सक्रिय हो चुके हैं और अब प्रियंका गांधी की एंट्री से कांग्रेस का अभियान और धारदार हो जाएगा.

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राजद से रिश्तों में तल्ख़ी की आहट

हालांकि, कांग्रेस की आक्रामक रणनीति से INDIA गठबंधन के भीतर खटपट की आवाजें तेज हो गई हैं. राजद पहले से ही सीटों पर दबाव बनाए हुए है और कांग्रेस का 76 सीटों पर दावा करना उसे रास नहीं आ रहा. सूत्रों का कहना है कि अगर सहमति नहीं बनी तो कई सीटों पर सीधी टक्कर देखने को मिल सकती है.

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कांग्रेस बिहार में सिर्फ “सहयोगी दल” की भूमिका में नहीं रहना चाहती. वह अब अपनी खोई हुई ज़मीन वापस पाना चाहती है और इसी वजह से पटना की CWC बैठक ऐतिहासिक होने वाली है. यह सिर्फ रणनीति बनाने का मंच नहीं, बल्कि यह मैसेज देने का मौका है कि कांग्रेस अब बैकफुट पर नहीं, बल्कि फुल आक्रामक मोड में है.

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अब देखना होगा कि क्या प्रियंका गांधी की पहली सभा और गांधी परिवार का पटना में शक्ति प्रदर्शन, कांग्रेस को बिहार में नया राजनीतिक जीवन दे पाएगा या फिर यह सब गठबंधन की खींचतान में दबकर रह जाएगा.

चंदन कुमार
कंटेंट ब्यूरो एडिटर
सहारा समय बिहार.