छपरा: छपरा के प्राचीन कालीबाड़ी में आज माता की विधिवत पूजा और हवन के बाद विदाई समारोह संपन्न हुआ. इस अवसर पर बंगाली रीति रिवाजों के अनुसार माता को विदा किया गया और सिंदूर खेला का आयोजन किया गया.
कार्यक्रम की शुरुआत माता के पूजन और हवन से हुई. तत्पश्चात पुष्पांजलि अर्पित की गई और बंगाली समाज की सबसे बुजुर्ग महिला ने माता को सिंदूर और खोईचा लगाकर विदाई दी. इसके बाद अन्य महिलाओं ने एक-दूसरे को सिंदूर लगाया और खेला का आनंद लिया.
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इस दौरान बंगाली समाज की महिलाओं द्वारा विशेष प्रकार की आवाज “उलू” निकाली गई, जो शुभ अवसरों पर परंपरागत रूप से की जाती है. कार्यक्रम में महिलाएं जमकर सिंदूर खेला में भाग लेती दिखीं.
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गौरतलब है कि छपरा का कालीबाड़ी बिहार के प्राचीन कालीबाड़ियों में से एक है. यहाँ 104 वर्षों से माता की स्थापना होती रही है और बंगाली रीति-रिवाज के अनुसार पूजा-अर्चना विधिवत ढंग से संपन्न होती है. प्रत्येक शाम ढाक और ढोल की थाप पर विशेष आरती का आयोजन किया जाता है.
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इस कार्यक्रम को देखने के लिए सैकड़ों स्थानीय लोग उमड़े और उन्होंने माता की विदाई और सांस्कृतिक कार्यक्रम का आनंद लिया.
पंकज श्रीवास्तव, छपरा.