पटना: बिहार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम ने हाल ही में जारी बयान में चुनाव आयोग द्वारा कराए गए स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने कहा कि यह वह प्रक्रिया थी, जिसकी न तो जनता ने मांग की थी और न ही किसी राजनीतिक दल ने. इसके बावजूद इसे इतनी जल्दबाजी और अपारदर्शिता के साथ लागू किया गया कि बार-बार सुप्रीम कोर्ट को दखल देना पड़ा, ताकि प्राकृतिक न्याय के बुनियादी सिद्धांतों का पालन हो सके.
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राजेश राम ने कहा, “अब चुनाव आयोग के अधिकारी ज्ञानेश गुप्ता इस प्रक्रिया को सफल बता रहे हैं, जबकि इसकी निष्पक्षता और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल हैं. कांग्रेस के कार्यकर्ता पूरे राज्य में यह मूल्यांकन करेंगे कि SIR के जरिए कितने नाम मतदाता सूची से हटाए गए और कितने नाम जोड़े गए. यह मुद्दा यहीं समाप्त नहीं होगा.”
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कांग्रेस अध्यक्ष ने आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि पहले ड्राफ्ट में लगभग 65 लाख नाम सूची से हटाए गए, जबकि अंतिम चरण में केवल 21.53 लाख नए नाम जोड़े गए. हटाए गए नामों की संख्या अत्यधिक है, जो चिंता का विषय है. उन्होंने आरोप लगाया कि कई पात्र मतदाताओं के नाम भी इरादतन काटे गए हैं.
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राजेश राम ने कहा कि SIR की वास्तविक सफलता केवल कागजों पर नहीं, बल्कि जमीनी सच्चाई और मतदाताओं के अधिकारों की रक्षा से आंकी जानी चाहिए. उन्होंने कार्यकर्ताओं, नागरिकों और सभी राजनीतिक दलों से अपील की कि वे इस तथाकथित “सफल” प्रक्रिया का वस्तुनिष्ठ मूल्यांकन करें, ताकि कोई भी पात्र नागरिक मतदाता सूची से वंचित न हो.
उन्होंने कहा, “कांग्रेस मतदाताओं के हक की लड़ाई अंतिम दम तक लड़ेगी और सुनिश्चित करेगी कि लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन न हो.”