सुपौल: बिहार की राजनीति इस बार एक अनोखा मोड़ ले सकती है. धार्मिक मंच से निकला संदेश अब सीधे चुनावी अखाड़े में गूंजने वाला है. जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने सुपौल में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर घोषणा की कि आगामी विधानसभा चुनाव में हर सीट पर गौ-भक्त निर्दलीय प्रत्याशी उतारे जाएंगे.
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शंकराचार्य ने साफ कहा कि यह सत्ता पाने की जद्दोजहद नहीं, बल्कि धर्म रक्षा का अभियान है. रविवार को निकली गौ मतदाता संकल्प यात्रा से यह संदेश दिया गया कि गाय केवल आस्था नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति की आत्मा है.
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उन्होंने कहा, “देश में 90 करोड़ हिंदुओं की आवाज अनसुनी की जा रही है. जब अन्य वर्गों की मांगों पर तुरंत कदम उठाए जाते हैं तो हिंदू समाज की चिंताओं को क्यों टाल दिया जाता है?”
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यानी धर्म का स्वर अब सीधे राजनीति की ज़मीन पर गूंजेगा. उन्होंने दो टूक कहा— धर्म लोककल्याण को अपनी सामर्थ्य से साधता है, जबकि राजनीति सत्ता से कल्याण का दावा करती है. लेकिन जब सत्ता धर्म को अनसुना करे तो धर्म को ही राजनीति का मार्ग पकड़ना पड़ता है.
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श्री राधाकृष्ण ठाकुरबाड़ी में आयोजित इस कार्यक्रम में वातावरण पूरी तरह आध्यात्मिक था, लेकिन भीतर छिपा राजनीतिक संदेश साफ नज़र आया. भक्तों की भीड़ ने शंकराचार्य के हर वाक्य पर जयकारे लगाए और इसे एक नए आंदोलन की शुरुआत माना.
राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी शैलेन्द्र योगिराज सरकार ने बताया कि यह सिर्फ शुरुआत है— नामांकन के बाद औपचारिक उम्मीदवारों की सूची जारी होगी.