पटना/मुजफ्फरपुर: बिहार विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, नेताओं के बेतुके और विवादित बयान भी तेजी से सामने आने लगे हैं. बयानबाजी की इस जंग में ताजा मामला मुजफ्फरपुर के कांटी से आया है, जहां राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की विधान परिषद सदस्य (MLC) उर्मिला ठाकुर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निजी जीवन और चरित्र पर सवाल उठाकर सियासी हलचल मचा दी है.
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मुजफ्फरपुर के कांटी हाई स्कूल में आयोजित एक चुनावी सभा के दौरान उर्मिला ठाकुर ने अपने संबोधन में कहा कि प्रधानमंत्री मोदी कथनी और करनी में बड़ा अंतर रखते हैं. उन्होंने इशारों में पूर्व केंद्रीय मंत्री और वर्तमान सांसद स्मृति ईरानी तथा अभिनेत्री एवं भाजपा सांसद कंगना रनौत को लेकर बेहद आपत्तिजनक बातें कहीं है. यही नहीं, उन्होंने प्रधानमंत्री की वैवाहिक स्थिति पर भी सवाल उठाया और कहा कि, “झूठा शादीशुदा प्रधानमंत्री अपनी पत्नी को भी ठग चुका है, तो देश की जनता को ठगने में उसे क्या दिक्कत होगी?”
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उर्मिला ठाकुर यहीं नहीं रुकीं. उन्होंने मंच से कहा कि प्रधानमंत्री खुद को ‘फकीर’ बताते हैं, लेकिन ₹2 लाख का कलम रखते हैं. चुनाव आयोग की पूछताछ के बाद ही उन्हें यह स्वीकारना पड़ा कि यशोदा बहन उनकी पत्नी हैं. उर्मिला ने सीधा हमला बोलते हुए कहा कि “जो व्यक्ति अपनी पत्नी तक से सच नहीं बोल सकता, उसकी ईमानदारी और साधु छवि पर भरोसा कैसे किया जा सकता है.”
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उनकी इस टिप्पणी के सामने आने के बाद राजनीतिक गलियारों में बवाल मचना तय है. भाजपा ने इस बयान को पूरी तरह निंदनीय करार दिया है. पार्टी की महिला मोर्चा की राष्ट्रीय कार्य समिति सदस्य डॉ. ममता रानी ने कड़ा पलटवार करते हुए कहा कि, “उर्मिला ठाकुर को प्रधानमंत्री को चरित्र प्रमाणपत्र देने का कोई अधिकार नहीं है. नरेंद्र मोदी को देश की 140 करोड़ जनता ने लोकतांत्रिक तरीके से चुना है. उनकी लोकप्रियता से बौखला कर विपक्ष के नेता इस तरह की बयानबाजी कर रहे हैं.”
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ममता रानी ने आगे कहा कि राजद और कांग्रेस एक ओर महिलाओं के सम्मान की बात करते हैं और दूसरी ओर मंच से मां-बहन पर अपशब्द बोलने में भी संकोच नहीं करते. उन्होंने आरोप लगाया कि यह बयान बिहार की राजनीति को गिराने वाला है और इसका जवाब जनता चुनाव में जरूर देगी.
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विशेषज्ञ मानते हैं कि इस तरह की बयानबाजी से चुनावी मुद्दों से ध्यान भटकता है और व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप का माहौल बनता है. जबकि जनता उम्मीद करती है कि चुनावी सभाओं में नेता विकास, बेरोजगारी, महंगाई और शिक्षा जैसे मुद्दों पर अपनी नीतियां और योजनाएं सामने रखें.
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बहरहाल, चुनावी मौसम में नेताओं की जुबान से निकले ऐसे विवादित बोल केवल सियासी गर्मी बढ़ाने का काम कर रहे हैं. उर्मिला ठाकुर का यह बयान आने वाले दिनों में विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच तगड़े वार-पलटवार की वजह बन सकता है.

कंटेंट ब्यूरो एडिटर
सहारा समय बिहार.