बेतिया के राम लखन सिंह कॉलेज (आरएलएसवाई) का एक वीडियो सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल रहा है. वीडियो में साफ दिख रहा है कि कॉलेज कर्मी छात्रों को दौड़ा-दौड़ाकर पीट रहे हैं. सवाल यह उठता है कि जब शिक्षा मंदिर कहलाने वाली जगहों पर छात्रों को न्याय नहीं मिलेगा, तो सरकार किसके लिए कानून-व्यवस्था और शिक्षा सुधार के बड़े-बड़े दावे कर रही है?
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दरअसल, मामला ‘डेवलपमेंट ऑफ पर्सनैलिटी’ परीक्षा से जुड़ा है. छात्रों ने फर्स्ट सेमेस्टर की परीक्षा दी, फिर भी उन्हें शून्य अंक मिले. दूसरी बार फॉर्म और फीस जमा करने के बाद भी रिजल्ट जस का तस रहा. नाम और विषय की गलतियों पर कई बार प्राचार्य को आवेदन दिया गया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. मंगलवार को जब छात्र प्रिंसिपल से मिलने पहुंचे, तो समस्या सुनने की जगह कॉलेज कर्मियों ने उनकी पिटाई कर दी.
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छात्रों का आरोप है कि सूचना देने के बाद भी पुलिस तमाशबीन बनी रही. अब सवाल यह है कि अगर शिक्षा व्यवस्था की शिकायत करने पर छात्रों को लाठी-डंडे मिलेंगे, तो क्या यही है सरकार का शिक्षा सुधार मॉडल?
आक्रोशित छात्रों ने चेतावनी दी है कि यदि दोषियों पर कार्रवाई नहीं हुई तो वे आंदोलन करेंगे. लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है—क्या सरकार कॉलेज प्रशासन और पुलिस की इस भूमिका पर कार्रवाई करेगी या एक और घटना को “जांच चल रही है” कहकर टाल देगी?
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फिलहाल, कॉलेज प्रशासन खामोश है और सरकार भी. मगर वायरल वीडियो ने साफ कर दिया है कि शिक्षा व्यवस्था की सच्चाई कितनी खोखली है.