मुंगेर के नौवागढ़ी मैदान में शनिवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की चुनावी जनसभा में अजीब विरोधाभास देखने को मिला. जहां एक ओर गृह मंत्री सुरक्षा के लिए जाने जाते हैं, वहीं दूसरी ओर भीड़ कम दिखी तो उन्होंने खुद चेकिंग हटाने का निर्देश दे दिया.
एनडीए प्रत्याशी के समर्थन में आयोजित इस रैली में प्रशासन और भाजपा संगठन ने हजारों की भीड़ जुटाने की तैयारी की थी. लेकिन उम्मीद के विपरीत, सभा शुरू होने तक आधी से अधिक कुर्सियां खाली रह गईं. मंच पर अमित शाह के साथ प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप जायसवाल और अन्य वरिष्ठ नेता मौजूद थे.
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सूत्रों के अनुसार, स्वागत के दौरान अमित शाह ने जब खाली कुर्सियां देखीं तो मंच संचालन कर रहीं अंजू भारद्वाज को रोका और सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों से कहा, “चेकिंग बंद करें, लोगों को अंदर आने दें.” उनके निर्देश पर मेटल डिटेक्टर और बैरिकेडिंग तुरंत हटा दी गई. इसके बाद कुछ लोग बिना जांच के मैदान में प्रवेश कर गए और कुर्सियों पर बैठ गए.
हालांकि, इससे भी सभा में भीड़ नहीं बढ़ सकी. अमित शाह ने जब संबोधन शुरू किया, तब भी करीब 200 से अधिक कुर्सियां खाली थीं. उनके भाषण के दौरान माहौल में उत्साह तो दिखा, पर अपेक्षित भीड़ नहीं पहुंची.
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यह नजारा राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है, एक तरफ गृह मंत्री, जिनके सुरक्षा प्रोटोकॉल देशभर में मिसाल माने जाते हैं, वहीं दूसरी तरफ सुरक्षा जांच हटाने का निर्णय केवल भीड़ दिखाने के लिए लिया गया.
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह रैली न सिर्फ संगठन की तैयारी की पोल खोलती है, बल्कि सत्ता के शीर्ष नेता की लोकप्रियता पर भी सवाल खड़े करती है.
मनीष कुमार, मुंगेर.


























