आरा: लोकतंत्र में मीडिया की ताक़त का बड़ा उदाहरण आरा में सामने आया है. 74 वर्षीय शिक्षिका मेरी टोप्पो, जिन्हें सरकारी लापरवाही के चलते “मृत” घोषित कर दिया गया था, अब कागज़ों पर भी ज़िंदा हो गई हैं. सहारा समय पर प्रकाशित खबर का असर यह हुआ कि चुनाव आयोग हरकत में आया और महज़ 24 घंटे के भीतर ही मेरी टोप्पो और उनके परिवार का नाम वोटर लिस्ट में दोबारा जोड़ दिया गया.
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मामला शहर के वार्ड संख्या 12 का है. मेरी टोप्पो और उनके परिवार का नाम मतदाता सूची से हटा दिया गया था. जब परिवार ने इसका कारण जानना चाहा तो जवाब मिला कि उन्हें “मृत” घोषित कर दिया गया है. इससे परिवार सकते में था. लेकिन जब यह मामला मीडिया में आया तो प्रशासन सक्रिय हुआ.
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खबर सामने आने के बाद बीएलओ विनोद कुमार यादव तत्काल मेरी टोप्पो के घर पहुंचे. उन्होंने पूरे परिवार से कागज़ात लिए और जांच के बाद बताया कि मेरी टोप्पो के साथ तीन अन्य नाम भी थे, जिन्हें गलत तरीके से मृत दिखा दिया गया था. अब सभी नाम सुधार कर मतदाता सूची में जोड़ दिए गए हैं.
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हमारी टीम जब दूसरी बार मेरी टोप्पो से मिलने पहुंची तो उनके चेहरे पर मुस्कान थी. उन्होंने कहा – “अब हम मृत से जिंदा हो गए हैं, इसलिए खुशी है. जीते जी जब अपने मृत होने की खबर सुनी थी तो सरकार की संवेदनहीनता पर रोना आया था. लेकिन अब खुश हूं कि मेरा और मेरे बेटों का नाम फिर से वोटर लिस्ट में जुड़ गया.”
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उन्होंने आगे कहा कि अगर मीडिया ने उनकी आवाज़ न उठाई होती तो शायद वे अब भी कागज़ों में मृत ही रहतीं. “यह सिर्फ मेरी ही नहीं, बल्कि पूरे परिवार की जीत है कि अब हम फिर से वोट देने का अधिकार पा गए हैं.”
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यह घटना एक बार फिर साबित करती है कि जब मीडिया जनता की आवाज़ बनकर सवाल उठाता है तो व्यवस्था को झुकना पड़ता है. एक खबर ने न सिर्फ एक जिंदा इंसान को कागज़ों में भी ज़िंदा कराया, बल्कि लोकतंत्र में वोटर के अधिकार को भी वापस दिलाया. यह जीत उन तमाम लोगों की भी है जो अपने अधिकार के लिए लगातार संघर्ष कर रहे हैं.

रिपोर्ट: ओ. पी. पाण्डेय, आरा।