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Analysis: सिवान किस करवट बैठेगा, कब, कौन और क्यों भारी?

Ranjit Samrat Sahara samay

सिवान (Siwan) की सियासत: जातीय समीकरण, दलों का उतार-चढ़ाव और मौजूदा मुद्दों का विश्लेषण .

Siwan: बिहार का सीमावर्ती जिला सिवान लंबे समय से सूबे की सियासत में एक निर्णायक भूमिका निभाता रहा है . अपराध, जातीय ध्रुवीकरण, दिग्गज नेताओं की उपस्थिति और सामाजिक परिवर्तन – ये सब मिलकर सिवान को सियासी रूप से विशिष्ट बनाते हैं.

इतिहास की झलक: लालू युग से नीतीश दौर तक

1990 का दशक :
सिवान राष्ट्रीय जनता दल (RJD) का मजबूत गढ़ रहा है . इसका श्रेय मोहम्मद शहाबुद्दीन जैसे प्रभावशाली नेता को जाता है, जो RJD के कद्दावर मुस्लिम चेहरा थे . उस समय ‘जंगलराज’ के आरोपों के बीच भी शहाबुद्दीन का दबदबा बना रहा .

2005 के बाद का समय :
जब नीतीश कुमार और भाजपा की जोड़ी ने सत्ता संभाली, तो कानून व्यवस्था और विकास की बात होने लगी . शहाबुद्दीन के जेल जाने और RJD के कमजोर पड़ने के साथ ही JDU-BJP गठबंधन को यहां बढ़त मिलती गई .

2020 विधानसभा चुनाव :
NDA को फिर बढ़त मिली, लेकिन RJD की पकड़ कई इलाकों में बरकरार रही . सीवान विधानसभा सीट से BJP ने जीत दर्ज की .

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जातीय समीकरण: कौन किसके साथ?

सिवान में राजनीति का आधार जातीय गठजोड़ ही रहा है . यहां की बड़ी जातियां और उनके रुझान इस प्रकार हैं:

| जाति / वर्ग | संख्या में प्रभाव | परंपरागत राजनीतिक रुझान |
| | — | — |
| राजपूत | मजबूत दबदबा | BJP / JDU (हाल के वर्षों में) |
| यादव | बड़ा वोट बैंक | RJD का परंपरागत समर्थन |
| मुस्लिम | निर्णायक भूमिका | RJD, कांग्रेस (अक्सर एकजुट वोटिंग) |
| ब्राह्मण-बनिया | मध्यम वर्ग | BJP का मजबूत आधार |
| दलित | बिखरा हुआ समर्थन | JDU, HAM, कभी-कभी RJD |
| ओबीसी (अन्य) | छिटपुट असर | वोट बंटा हुआ; उम्मीदवारों पर निर्भर |

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प्रमुख चेहरे जिन्होंने सियासत को आकार दिया  

▶️ मोहम्मद शहाबुद्दीन (RJD)

सिवान का पर्याय बन चुके थे . अपराध और राजनीति के बीच संतुलन बना रखा .

▶️ ओमप्रकाश यादव (BJP)

शहाबुद्दीन के खिलाफ खड़े होकर चर्चा में आए . 2009 में लोकसभा चुनाव जीते और भाजपा के लिए मजबूत चेहरा बने .

▶️ अवध बिहारी चौधरी (RJD)

विधानसभा अध्यक्ष रह चुके हैं . यादव समुदाय में पकड़ और पुराने सियासी दावेदार .

▶️ विजयलक्ष्मी कुमारी (BJP)

बीजेपी की महिला चेहरा और संगठन में सक्रियता के लिए जानी जाती हैं .

कब कौन भारी?

चुनावलोकसभाविधानसभाप्रमुख दल
2004RJDRJDशहाबुद्दीन का वर्चस्व
2009BJPNDAबदलाव की शुरुआत
2015RJD-जेडीयू महागठबंधनमहागठबंधनमोदी बनाम नीतीश-तेजस्वी
2020BJPNDANDA को बढ़त लेकिन RJD भी ताकतवर

वर्तमान में गरम मुद्दे (2025 की तैयारी के लिहाज से)

  1. बेरोजगारी और पलायन – युवा वोटरों में आक्रोश है .
  2. कानून व्यवस्था – अपराध फिर मुद्दा बनता जा रहा है, खासकर ग्रामीण इलाकों में .
  3. शहाबुद्दीन के बाद मुस्लिम नेतृत्व का सवाल – मुस्लिम मतदाता बिखरे हैं या नया चेहरा ढूंढ रहे हैं .
  4. केंद्र बनाम राज्य की योजनाएं – PM आवास, राशन, बिजली जैसी योजनाओं का प्रभाव .
  5. जातीय जनगणना और आरक्षण की मांग – OBC और EBC समुदायों में हलचल .
  6. आगामी सियासी दिशा: क्या बदलेगा समीकरण? यदि RJD कोई नया मजबूत मुस्लिम चेहरा ला पाती है, तो यादव-मुस्लिम समीकरण दोबारा मजबूत हो सकता है .
  7. BJP का फोकस शहरी और उच्च जातियों पर है, लेकिन उन्हें युवा और बेरोजगार तबके को साधना होगा .
    JDU अब पिछड़ी जातियों और महिलाओं को लक्षित कर रही है .
  8. यदि विपक्ष एकजुट नहीं हुआ, तो NDA को फिर बढ़त मिल सकती है . सीवान की सियासत जातीय गठजोड़, स्थानीय चेहरों की पकड़ और सुरक्षा-विकास के वादों के इर्द-गिर्द घूमती रही है .
  9. आगामी चुनावों में दलों के लिए यहां छवि से ज्यादा ज़मीन पर काम और गठजोड़ मायने रखेंगे .

लेखक परिचय: रंजीत कुमार सम्राट सहारा समय (डिजिटल) के बिहार हेड हैं. 20 साल से बिहार के हर जिले की सियासत पर गहरी नज़र रखते हैं. पिछले दो दशक से बिहार की हर खबर को अलग नजरिये से पाठक को समझाते रहे हैं.

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