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क्रिकेट बैट का साइज़ कौन तय करता है? जानिए नियम और विवाद

जब भी हम क्रिकेट की बात करते हैं, तो हमारे ज़हन में सबसे पहले एक बैट और बॉल की तस्वीर बनती है. क्या आपने कभी सोचा है कि जिस बल्ले से चौके-छक्के उड़ते हैं, उसके साइज के भी कुछ तय नियम होते हैं? और क्या कभी किसी खिलाड़ी ने इन नियमों को तोड़ा है?

आज इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि क्रिकेट बैट की लंबाई और चौड़ाई को लेकर क्या-क्या नियम हैं, और वो मशहूर किस्सा जब एक खिलाड़ी एल्युमिनियम बैट लेकर मैदान में उतर आया था.

क्रिकेट बैट की तय लंबाई और चौड़ाई:

क्रिकेट बैट सिर्फ लकड़ी का ही होना चाहिए — यह MCC (Marylebone Cricket Club) के बनाए नियमों में साफ लिखा है. इसके अलावा, बल्ले की लंबाई और चौड़ाई को लेकर भी कुछ सख्त नियम तय किए गए हैं:
✅ नियम क्या कहते हैं?

  • अधिकतम लंबाई: 38 इंच (96.5 सेमी)
  • अधिकतम चौड़ाई: 4.25 इंच (10.8 सेमी)
  • बल्ले की मोटाई और वजन के लिए कोई तय सीमा नहीं है, लेकिन आमतौर पर प्रोफेशनल क्रिकेट बैट का वजन 1.1 से 1.4 किलोग्राम के बीच होता है.
    इन नियमों का मकसद है खेल को संतुलित बनाए रखना — जिससे बैट और बॉल दोनों का मुकाबला बराबरी का हो.

जब क्रिकेट मैदान में आ गया एल्युमिनियम का बैट:

अब बात करते हैं उस मशहूर विवाद की जो क्रिकेट के इतिहास में हमेशा याद रखा जाएगा. साल था 1979, जगह थी पर्थ, और खिलाड़ी थे ऑस्ट्रेलिया के डेनिस लिली.

क्या हुआ था?

डेनिस लिली ऑस्ट्रेलिया के लिए तेज़ गेंदबाज़ थे, लेकिन बल्लेबाज़ी में भी उनका अलग ही अंदाज़ था. एक मैच में उन्होंने लकड़ी का नहीं, बल्कि एल्युमिनियम से बना बैट लेकर बैटिंग शुरू कर दी. दर्शक हैरान थे. अंपायर और विपक्षी टीम इंग्लैंड ने इस पर तुरंत आपत्ति जताई.

तर्क क्या दिया गया?

लिली ने कहा कि वो बैट “खेलने योग्य” है और उन्होंने कंपनी से स्पॉन्सरशिप डील की है.

मगर दिक्कत क्या थी?

एल्युमिनियम बैट गेंद के आकार पर असर डाल रहा था. आखिरकार कप्तान ग्रेग चैपल ने खुद जाकर लिली से लकड़ी का बैट बदलवाया. लिली गुस्से में आकर बैट को मैदान पर फेंकते हुए वापस लौटे.

उसके बाद क्या हुआ?

इस विवाद के बाद MCC ने नियमों को और स्पष्ट किया और यह साफ कर दिया गया कि “The blade of the bat must be made solely of wood.” यानि क्रिकेट बैट सिर्फ लकड़ी से ही बने होने चाहिए. तब से लेकर आज तक कोई भी प्लेयर इस नियम को नहीं तोड़ सका.

जानने लायक बातें:

  • लकड़ी के बल्लों में आमतौर पर कश्मीर विलो या इंग्लिश विलो का इस्तेमाल होता है.
  • बैट की चौड़ाई ज्यादा होने से बल्लेबाज़ को ज्यादा फायदा मिल सकता है, इसलिए इसकी लिमिट तय की गई है.
  • बल्ले की लंबाई सीमित रखने का मतलब है — ज़्यादा पहुंच (reach) न मिले और बॉल-बैट बैलेंस बना रहे.

क्रिकेट में नियम इसलिए बनाए जाते हैं ताकि खेल निष्पक्ष बना रहे. बल्ला सिर्फ एक लकड़ी का टुकड़ा नहीं है, बल्कि एक बैलेंस का हिस्सा है — जो खेल को रोमांचक भी बनाता है और चुनौतीपूर्ण भी. डेनिस लिली जैसे किस्से हमें यह याद दिलाते हैं कि नियम तोड़ने वाले हमेशा चर्चा में तो आ सकते हैं, लेकिन क्रिकेट का असली मज़ा तो खेल की भावना में ही है.

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