टीनएजर्स (किशोरों) और उनके माता-पिता के बीच संबंधों में समस्याएं होना आम बात है, खासकर जब किशोर अपनी स्वायत्तता और स्वतंत्रता की तलाश में होते हैं. यह एक ऐसा समय होता है जब किशोर अपने माता-पिता से अलग होकर अपनी पहचान बनाने की कोशिश करते हैं, जिससे अक्सर संघर्ष और गलतफहमी पैदा होती है.
मनोवैज्ञानिक डॉ. रोमा कुमार ने सहारा समय से बात करते हुए समस्याओं के कुछ सामान्य कारण बताए, जो निम्न है.
संचार की कमी:
किशोरों और माता-पिता के बीच अक्सर प्रभावी संचार की कमी होती है, जिससे गलतफहमी और गुस्सा बढ़ सकता है.
स्वायत्तता की तलाश:
किशोर अधिक स्वतंत्रता और निर्णय लेने की क्षमता चाहते हैं, जो माता-पिता के लिए नियंत्रण छोड़ने में मुश्किल हो सकती है.
गलतफहमी:
माता-पिता अक्सर यह नहीं समझ पाते हैं कि किशोरों को क्या चाहिए और वे क्या महसूस करते हैं, जिससे दोनों पक्षों में निराशा हो सकती है.
अनुशासन और नियम:
किशोरों को लगता है कि माता-पिता के नियम बहुत कठोर हैं, जबकि माता-पिता को लगता है कि किशोर नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं, जिससे टकराव हो सकता है.
सामाजिक दबाव और साथियों का प्रभाव:
किशोरों पर सामाजिक दबाव और साथियों का बहुत प्रभाव होता है, जो माता-पिता के साथ उनके संबंधों को प्रभावित कर सकता है.
समस्याओं को कम करने के तरीके:
खुला संचार:
माता-पिता को अपने किशोरों के साथ खुले और ईमानदार संवाद को प्रोत्साहित करना चाहिए.
समझौते:
दोनों पक्षों को एक-दूसरे की बात सुननी चाहिए और समस्याओं को हल करने के लिए समझौते करने का प्रयास करना चाहिए.
सीमाएँ निर्धारित करना:
माता-पिता को स्पष्ट सीमाएँ निर्धारित करनी चाहिए, लेकिन किशोरों को भी अपनी राय व्यक्त करने की अनुमति देनी चाहिए.
सकारात्मक माहौल:
माता-पिता को एक ऐसा माहौल बनाना चाहिए जहाँ किशोर सुरक्षित महसूस करें और अपनी बात कह सकें.
पेशेवर मदद:
यदि समस्याएं बहुत गंभीर हैं, तो माता-पिता को किसी पेशेवर से मदद लेनी चाहिए.
मनोवैज्ञानिक डॉ राखी आनंद माता-पिता के लिए सुझाव बतायी हैं.
- अपने किशोरों को सुनें और उनकी भावनाओं को समझें.
- उन पर विश्वास करें और उन्हें अपनी गलतियों से सीखने दें.
- उनके साथ सम्मान से पेश आएं और उन्हें प्रेरित करें.
- अपने किशोरों के साथ गुणवत्तापूर्ण समय बिताएं.
- उनकी रुचियों और गतिविधियों में रुचि लें.
किशोरों के लिए सुझाव:
- अपने माता-पिता के साथ खुले तौर पर बात करें और अपनी भावनाओं को व्यक्त करें.
- उनके दृष्टिकोण को समझने की कोशिश करें.
- उनकी चिंताओं को सुनें और उनका सम्मान करें.
- उनके साथ सम्मान से पेश आएं और उनकी बातों को सुनें.
- यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि किशोरों और माता-पिता के बीच संबंध एक सतत प्रक्रिया है, और इसमें समय और प्रयास लगता है. धैर्य, समझ और खुले संचार के साथ, माता-पिता और किशोर अपने संबंधों को मजबूत कर सकते हैं और एक-दूसरे के साथ अधिक सामंजस्यपूर्ण जीवन जी सकते हैं.
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