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Expert से समाधान: फॉलो, लाइक और स्ट्रेस, टीनेजर्स की दुनिया?

आजकल की डिजिटल दुनिया के दौर में सोशल मिडिया एक ऐसा स्थान बन चुका है जहां पर हर एक बच्चा ऐक्टिव रहता है, और वो अपनी ज़िंदगी की हर चीज़ उसमे डालता है. शुरुआत में यह एक मनोरंजन और नई जानकारी पाने का जरिया होता है लेकिन धीरे धीरे इसकी आदत लग जाती है, इसका असर बच्चों की पढ़ाई, नींद और मानसिक स्थिति पर जल्दी पड़ता है.

सोशल मीडिया पर घंटों ऐक्टिव रहना, सामान्य से ज़्यादा screen time होने से उनके मानसिक स्वास्थ ही नहीं बल्कि उनके शारीरिक स्वास्थ पर भी बुरा प्रभाव डाल रमढ़ा है. अपने ही उम्र के लोगो से competition के चक्कर में वह रील को रियल और रियल को रील समझ बैठते हैं और फिर कोशिश करते है की वो भी ऐसा ही करे. जिसके कारण कभी कभी ग़लत रास्तों का भी चयन कर लेते है और फिर इसी जाल में फसते चले जाते हैं. फेसबुक, इंस्टाग्राम, स्नैपचैट, यूट्यूब और अब रील्स और शॉर्ट्स जैसे प्लेटफार्म पर बच्चे अपना पूरा दिन बिता दे रहे है, जो की उनकी आखों के साथ साथ सोचने समझने की छमता को भी कमजोर करता जा रहा है.

कुछ लाइक्स और फ़ॉलोवर्स के चक्कर में आजकल के teenagers खुदको सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर अपनी उम्र से ज़्यादा बड़ा दिखाने की कोशिश करते है. धीरे-धीरे उन पर सोशल मिडिया का असर इतना ज़्यादा बढ़ता जा रहा है कि वो अपना समय सिर्फ़ सोशल मीडिया पर बिताना चाहते हैं और बाक़ी सारे जरूरी काम का महत्व उनके जीवन में कम होता जा रहा है. इसकी लत के कारण वे असली दुनिया से दूर हो जाते है. अपने परिवार और दोस्तों के साथ संपर्क कमजोर हो जाता है, जिससे रिश्तों में दूरी आती है.

Unlimited excess के कारण लग रही ग़लत चीज़ों को देखने की लत:

इसमें साइकोलॉजिस्ट अनमोल श्रीवास्तव का कहना है कि सोशल मीडिया ऐसा प्लेटफार्म है जिसे मनोरंजन और इनफार्मेशन को फैलाने के लिए जाना जाता है लेकिन टीनेजर्स, जो की उम्र के ऐसे पड़ाव पर होते है जहाँ कोई भी जानकारी उन्हें मानसिक और भावात्मक रूप से प्रभावित करती है.

टीनेजर्स सोशल मीडिया पर हर तरह का कंटेंट देखते है जिनमे से ज्यादातर वो एडल्ट कंटेंट होता है अनलिमिटेड इंटरनेट एक्सेस होने की वजह से उन्हें लत लग जाती है और वो बार बार कोशिश करते हैं देखने की, जिसकी वजह से कभी कभी ग़लत रास्ते पर भी चले जाते हैं. इस सब का परिणाम बाद में बहुत बुरा होता है जिसका असर मानसिक स्वास्थ्य पर सबसे ज़्यादा पड़ता है. इन सब का असर उनकी भाषा और रहन सहन पर भी दिखने लगता है.

कुछ सकारात्मक कारण:

सोशल मीडिया एक जानकारी का भंडार है, अगर इसे सही तरीके से यूज किया जाए तो इससे कई जानकारियां मिल सकती है, क्यूंकि उसमे दुनिया के अलग अलग कोनों की ख़बरें रहती है.

यह एक कमाने का भी अच्छा साधन है , रील्स, ब्लॉग्स और वीडियोज बनाके युवक अच्छा खासा फेम भी पा सकते है. इसके द्वारा बच्चे socially एक दूसरे से जुड़े रहते है अगर किसी कारण के वह ना मिल पायें तो.

कुछ नकारात्मक कारण:

साइकोलॉजिस्ट अनमोल श्रीवास्तव कहते हैं कि सोशल मीडिया पर ज़्यादा ऐक्टिव रहने के कारण टीनेजर्स ख़ुद को दूसरों से कंपेयर करने लगते है और खुदको परफेक्ट बनाने में लग जाते है, जब वो ऐसा नहीं कर पाते तो उनको खुदपे self doubt होता है.

उन्हें (fear of missing out) FOMO हो जाता है, उन्हें लगता है की कहीं वो बाकियों की तरह नहीं बन पाये तो वो कहीं ग़ायब ना हो जायें.

इसके अलावा बात करें तो cyberbullying भी टीनेजर्स को बुरी तरह से प्रभावित कर रहा है, सोशल मीडिया पर ट्रोल करना या ऑनलाइन तंग होने से मानसिक स्थिति ख़राब होती जा रही है.

ग़लत या झूठी जानकारी का प्रभाव भी टीनेजर्स पर अधिक पड़ रहा है क्यूंकि किशोरावस्था में अधूरा ज्ञान होने की वजह से सही या ग़लत जानकारी में तर्क कर पाना मुश्किल होता है. ऐसे में जो भी जानकारी दिख रही वो ग़लत और झूठी होते हुए भी सही ही लगती है.

किस प्रकार से करे समाधान :

माता पिता की भूमिका यहा सबसे महत्वपूर्ण है क्यूंकि जब तक वह अपने बच्चे पर ध्यान नहीं देंगे या उन्हें नहीं समझायेंगे कि सही क्या है और ग़लत क्या है, उन्हें किस दिशा में जाना चाहिए और किस दिशा में जाने से बचना चाहिए तब तक उन्हें बोध नहीं होगा कि वो क्या कर रहे हैं और क्या करना चाहिए.

अगर बच्चे के पास उसका निजी मोबाइल है और वो सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं तो माता पिता को ध्यान रखना चाहिए कि बच्चा किस तरह का कंटेंट देख रहा है और माता पिता को ख़ुद भी ऐसा कंटेंट नहीं देखना चाहिए जो बुरा प्रभाव डालते हो.

बच्चों को ज़्यादा से ज़्यादा इनफ़ॉर्मेशनल कंटेंट संपर्क में लाए और हर तरह का नॉलेज उन्हें समय पर देते रहें.

सोशल मीडिया एक ताक़तवर साधन है जिसका अगर सही उपयोग किया जाये तो वह वरदान बन सकता है और अगर ग़लत इस्तेमाल किया जाये तो वह आपकी ज़िंदगी पर ग़लत प्रभाव बना सकता है, और आजकल के teenagers को इसका सोच समझ के उपयोग करना चाहिए ताकि वह इसका लाभ उठा सके और नुक़सान से बच सके.

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