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सपनों का बोझ: Teenagers के स्ट्रेस का कारण?

आज के भाग दौड़ भरे इस दौर में एक बेहतर करियर बनाना बहुत जरूरी माना जाता है, और यहीं से जन्म लेता है मानसिक तनाव जो आजकल की पीढ़ी के teenagers पर हावी हो रहा है.

जैसे जैसे समय आगे बढ़ रहा है वैसे ही समय के साथ साथ नई तकनीक, नए चलन, और नई चीज़ें भी अस्तित्व में आती जा रहीं हैं, इसलिए हर कोई अपना बेहतर करियर बनाने के लिए दौड़ रहा है ताकि वह अपना जीवन ख़ुशी ख़ुशी जी सके, पर इस दौड़ में सबसे ज़्यादा प्रभावित हो रहे है teenagers जिन्हें इन तकनीकों ने बांध कर रखा हुआ है .

समय की रफ़्तार से खा रहे मात

ये नई तकनीक ही कारण हैं जिसकी वजह से किसी भी फील्ड में करियर बनाना बहुत कठिन होता जा रहा है, एक समय था जहाँ ज़्यादा सोचे समझे बिना भी करियर बनाना आसान था वही आज का दौर है जहां कम्पटीशन बढ़ चुका है और बच्चों पर छोटी उम्र से ही दबाव बढ़ता जा रहा है. Teenage एक ऐसा समय होता है जहां पर बच्चा मानसिक, शारीरिक, और भावनात्मक रूप से परिवर्तित हो रहा होता है, उसी बीच उनपे इतना बड़ा प्रेशर आना उनकी मानसिक स्थिति को भी ख़राब करता है.

आख़िर समस्या क्या है?

डॉ दिव्या गुप्ता, (मनोवैज्ञानिक और काउंसलर) ने सहारा समय के साथ बातचीत में साझा किया कि समस्याएं बहुत सारी हैं पर उनमे से सबसे पहली समस्या नये बच्चों के साथ यह आती है कि उन्हें कौन सा करियर चुनना चाहिए या उनके करियर के लिए क्या सही है . इसके साथ ही उनके माता पिता का भी उनपर बहुत दबाव रहता है जिसके कारण बच्चे अपने मां बाप से खुलकर कोई बात नहीं कह पाते और अपनी मानसिक स्थिति को ख़राब कर लेते हैं.

बहुत से माता पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे डॉक्टर, इंजीनियर या कोई सरकारी अफसर बने, वे जाने अनजाने में अपने सपने अपने बच्चों पर थोप देते हैं , जिसके कारण अगर बच्चा नहीं बन पाता है उनके मुताबिक तो वह आत्महत्या जैसे कदम उठा लेता है.

एक परेशानी यह भी है टीनएजर्स के लिए कि जब उनका कोई मित्र उनसे आगे बढ़ रहा होता है या उनसे ज़्यादा कामयाब हो रहा होता है तो वे बच्चे खुदपर दबाव महसूस करने लगते हैं. वे अपने आपको सक्षम होते हुए भी कम आंकने लगने लगते है, कई बार इन खयालों से परेशान हो जाते हैं कि क्या वो कुछ कर पायेंगे या नहीं.

डॉ दिव्या गुप्ता, (मनोवैज्ञानिक और काउंसलर) कहती हैं कि अगर समस्या है तो समाधान भी यही हैं कि:

माता पिता अपने बच्चों से खुलकर सारी बात पूछें और उन्हें समझायें कि उनके लिए क्या ग़लत है और क्या सही.
अपने बच्चों को वही करियर चुनने दें जिसमे वो सक्षम है या जो वो करना चाहते है. तभी वह बिना किसी परेशानी के अपना करियर बना सकेंगे.
अपने बच्चों को उनके उम्र के बच्चों के साथ तुलना करने से बचे.
यदि वे अपना करियर चुन ने में थोड़ा सा समय ले रहे हैं या कुछ दिन बिना कुछ किए भी रह रहे हैं तो उन्हें ऐसी सलाह ना दे जिसकी वजह से वो कोई ग़लत कदम उठाए.
उन्हें ज़्यादा से ज़्यादा प्रेरित करें और उनपर किसी भी तरीक़े का दबाव ना डाले.बच्चों को सपोर्ट करे ताकि वह अपने करियर को बिना किसी मानसिक तनाव के बना सके .

करियर हमारी ज़िंदगी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है लेकिन वह जीवन का सार नहीं है. teenage जैसी उम्र में बच्चों के माता पिता को दबाव डालने के बजाए बच्चों का आत्मविश्वास, आत्मबल और उन्हें सही दिशा की ओर बढ़ाना चाहिए, जिससे हम इन युवाओं को एक अच्छा करियर ही नहीं बल्कि एक खुशहाल जीवन भी दे सकते हैं.

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