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Life milestones : युवा क्यों कर रहे हैं शादी और बच्चे में देरी ? समस्या और समाधान

युवा क्यों कर रहे हैं शादी और बच्चे में देरी ? समस्या और समाधान

हमारे समाज में हमेशा से कुछ बातें तय मानी जाती थीं जैसे पढ़ाई करो, पढ़ाई ख़त्म हुई तो अच्छी नौकरी करो, अच्छी नौकरी मिल गई तो सही उम्र में शादी कर लो, शादी कर ली तो सही समय पर बच्चे पैदा कर लो और अपना परिवार बसाओ. लेकिन जैसे जैसे समय बदलता गया वैसे वैसे लोगों की सोच और उनके ज़िंदगी के लक्ष्य भी बदलते गए. खासकर “मिलेनियल्स” यानी 1980 से लेकर 2000 के बीच जन्मी पीढ़ी के लिए ये बदलाव साफ़ नज़र आता है.

आज के समय के युवा पहले की पीढ़ियों के मुक़ाबले अपने ज़िंदगी के अहम फ़ैसले बड़ी देर से ले रहे हैं जैसे शादी, घर खरीदना, या घर बसाना. पर सवाल ये उठता है कि क्या ये सही है, क्या ये वो किसी मजबूरी में कर रहे हैं या ये उनकी नई सोच है.

देरी होने के कुछ बड़े कारण –

Psychologist डॉ. रिज़वाना का कहना है कि सबसे बड़ी समस्या ये है कि उनपर आर्थिक दबाव बहुत है, आज की पढ़ाई जिस तरह से इतनी महंगी हो चुकी है, जिसकी वजह से बहुत से लोग पढ़ाई के बाद एजुकेशन लोन में फंसे हुए है. बहुत से लोगों की नौकरी में भी स्थिरता नहीं रह गई है, उन्हें हमेशा यही डर रहता है की कहीं उन्हें नौकरी से निकाल ना दिया जाए.

आज के समय में एक अच्छा करियर बनाना अत्यंत आवश्यक हो गया है इसी वजह से युवा जिस तरह का करियर चाहते हैं उसमें खुदको पूरी तरह से सेट करना चाहते हैं. वे जिम्मेदारियां लेने से पहले आर्थिक और मानसिक रूप से मजबूत होना चाहते हैं.

आज के समय में एक परफेक्ट लाइफ पार्टनर मिलना बहुत मुश्किल हो गया है इसीलिए मिलेनियल्स को लगता है कि जल्दी शादी या रिश्तों में बंधने के बजाए वे पहले एक परफेक्ट लाइफ पार्टनर ढूंढ ले.

सबसे ज़्यादा युवाओं पर समाज का दबाव रहता है जैसे “अब तक शादी नहीं की”, “अपना घर कब लोगे “, “उनके बेटे की तो सरकारी नौकरी लग गई” ऐसे सवाल उनमें तनाव पैदा करते है. वे लोग कॉम्पेरिजन से शर्मिंदगी महसूस करते है.

इसका समाधान क्या है?

Psychologist डॉ. रिज़वाना का कहना है कि सबसे पहले उन लोगों को ख़ुद को दोष देना बंद कर देना चाहिए क्योंकि हालात अलग होते हैं इसलिए देर होती है, इसमें शर्म की कोई बात नहीं हैं. उन्हें अपनी परिस्थितियों को खुले मन से स्वीकार करना चाहिए.

सबसे ज़्यादा उन्हें पैसों को लेकर डर लगा रहता है तो उन्हें बेसिक फाइनेंसियल प्लानिंग सीखनी चाहिए. हर महीने थोड़े पैसे बचाना शुरू कर देना चाहिए. और उन्हें फालतू कॉम्पेरिजन से बचना चाहिए क्योंकि हर किसी की कमाई और खर्चे अलग होते हैं.

ख़ुद को इतना काम में ही ढाल लें कि रिश्तों के लिए भी समय ना बचे. और यह भी जरूरी नहीं कि जब सब परफेक्ट हो जाये तभी शादी करें, कई बार साथी के साथ ही लाइफ को व्यवस्थित किया जा सकता है.

एक सही साथी की तलाश करते वक्त ख़ुद ईमानदार रहें. गहराई वाले रिश्तों को महत्व दें, superficial रिश्तों ना बनाये. ज़रूरत पड़े तो कपल काउंसलिंग या रिलेशनशिप कोच की मदद लें.

ज़िंदगी कोई भी रेस नहीं है, हर किसी के रास्ते बहुत अलग हैं. अगर किसी ने बहुत सी चीज़ें 25 की ही उम्र में हासिल कर लिया है तो आप वो चीज़ 35 तक हासिल कर ही लेंगे. इस चीज़ से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता है क्योंकि जब तक आप ख़ुश हैं तब तक आप मानसिक रूप से भी स्वस्थ हैं. बदलती दुनिया में जहां नौकरी, रिश्ते और सपने सब तेज़ी से बदलते हैं, वहां देर से ही सही लेकिन मज़बूत कदम उठाना ही समझदारी है. याद रखिए ये ज़िंदगी आपकी है इसे समाज क्या कहेगा, उससे ज़्यादा ज़रूरी है कि आप ख़ुश और संतुलित रहें और अपनी ज़िंदगी अपने अनुसार जियें.

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