क्या आप रोज रात में 7 से 8 घंटे की नींद लेते हैं, फिर भी सुबह उठते ही थकान, सिर भारीपन या सुस्ती महसूस करते हैं. अगर हां, तो इसे नजरअंदाज करना आपकी सेहत के लिए खतरे की घंटी साबित हो सकता है. विशेषज्ञों का कहना है कि “पर्याप्त नींद लेना” और “गुणवत्तापूर्ण नींद लेना” — दोनों अलग बातें हैं.
नींद का क्वालिटी फैक्टर: सिर्फ घंटे नहीं, गहराई भी जरूरी
नींद केवल सोने के घंटों से नहीं, बल्कि उसकी गुणवत्ता से मापी जाती है. अगर नींद बार-बार टूटती है, मोबाइल स्क्रॉलिंग या देर रात स्क्रीन टाइम ज्यादा होता है, तो डीप स्लीप यानी गहरी नींद के फेज तक शरीर नहीं पहुंच पाता, यही कारण है कि आठ घंटे बिस्तर पर बिताने के बावजूद शरीर पूरी तरह तरोताज़ा महसूस नहीं करता.
इन हेल्थ कंडीशन्स से भी जुड़ी हो सकती है आपकी थकान
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, लगातार सुस्ती या थकान रहना कई बार कुछ गंभीर बीमारियों का शुरुआती लक्षण भी हो सकता है —
थायरॉइड असंतुलन: हार्मोनल गड़बड़ी से शरीर की एनर्जी लेवल गिरती है.
स्लीप एपनिया: नींद के दौरान सांस रुकने की समस्या से ऑक्सीजन सप्लाई बाधित होती है.
आयरन की कमी (एनीमिया): खून में हीमोग्लोबिन की कमी से लगातार थकान बनी रहती है.
डिप्रेशन या स्ट्रेस: मानसिक दबाव नींद की गुणवत्ता को बुरी तरह प्रभावित करता है.
लाइफस्टाइल की ये 5 गलतियां भी बढ़ाती हैं थकान
1. सोने से पहले मोबाइल या टीवी देखना
2. अनियमित सोने-जागने का रूटीन
3. कैफीन या मीठे पेय पदार्थों का अधिक सेवन
4. दिनभर में बहुत कम शारीरिक गतिविधि
5. देर रात भारी भोजन करना
एक्सपर्ट की सलाह
नींद विशेषज्ञों के मुताबिक, शरीर को डीप रेस्ट देने के लिए रात में कम से कम 6 घंटे अनइंटरप्टेड स्लीप जरूरी है.
सोने से 30 मिनट पहले स्क्रीन बंद करें, हल्का संगीत या मेडिटेशन अपनाएं, कमरे का तापमान ठंडा रखें,रोजाना एक ही समय पर सोएं और उठें.
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