भारतीय रसोई में अचार का स्वाद हर खाने की शान बढ़ा देता है. लेकिन अगर आप भी स्वाद बढ़ाने के लिए अचार को प्लास्टिक के जार में रखते हैं, तो सावधान हो जाइए, यह छोटी सी आदत धीरे-धीरे आपकी सेहत को गंभीर बीमारियों की ओर धकेल सकती है.
प्लास्टिक का डिब्बा – जहर का घर!
अचार में तेल, नमक और मसालों की मात्रा ज्यादा होती है, जब ये चीजें प्लास्टिक के जार में लंबे समय तक रहती हैं, तो प्लास्टिक से हानिकारक रासायनिक तत्व (Toxins) अचार में घुलने लगते हैं. खासकर BPA (Bisphenol-A) और फ्थैलेट्स (Phthalates) जैसे रसायन शरीर में पहुंचकर हार्मोनल असंतुलन और सेल डैमेज का कारण बनते हैं.
ये 3 खतरनाक बीमारियां
कैंसर का खतरा- प्लास्टिक में मौजूद BPA शरीर में एस्ट्रोजन जैसे हार्मोन को प्रभावित करता है, लंबे समय तक सेवन करने पर यह कैंसर कोशिकाओं को सक्रिय कर सकता है — खासकर ब्रेस्ट और प्रॉस्टेट कैंसर का जोखिम बढ़ जाता है.
लिवर और किडनी को नुकसान– प्लास्टिक के टॉक्सिन्स लिवर में जमा होकर डिटॉक्स सिस्टम को कमजोर करते हैं. वहीं, किडनी पर दबाव बढ़ने से फिल्ट्रेशन क्षमता घटती है, जिससे शरीर में टॉक्सिन्स रुक जाते हैं.
हार्मोनल और नर्व सिस्टम की गड़बड़ी- लगातार प्लास्टिक से बने कंटेनर का उपयोग करने से शरीर के हार्मोन बैलेंस पर असर पड़ता है, इससे थायरॉइड, तनाव, नींद में दिक्कतें और मूड स्विंग्स जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं.
कांच या स्टील का जार क्यों है बेहतर विकल्प?
वास्तु और विज्ञान दोनों कहते हैं — कांच या स्टील का बर्तन सबसे सुरक्षित है, कांच के जार में रखे अचार में कोई रासायनिक प्रतिक्रिया नहीं होती, और उसका स्वाद लंबे समय तक बना रहता है. यह सेहत और स्वाद दोनों की रक्षा करता है.
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