गाजियाबाद (वसुंधरा क्षेत्र सहित) के अस्पतालों में समय-समय पर गंभीर लापरवाही, गैरकानूनी वसूली और प्रशासनिक अपारदर्शिता की घटनाएं सामने आई हैं. ये केवल आइसोलेटेड मामले नहीं हैं; बल्कि स्वास्थ्य सेवा में मौलिक चुनौतियां हैं जो प्रणालीगत सुधार की मांग करती हैं. मरीजों का निरीक्षण, प्रशासनिक जवाबदेही और समुदाय की सतर्कता इन बदलावों के लिए आधार होंगे.
सहारा समय के रिपोर्टर ने जब वसुंधरा के कई अस्पतालों का मुआयना किया तो पता चला कि कई तरह की अनियमितता व्याप्त है. वसुंधरा सेक्टर 15 स्थित वसुंधरा अस्पताल का आलम यह है कि पूरी बिल्डिंग ही अस्पताल या ऑफिस के पैमाने पर नहीं है. बेसमेंट में मरीजों के लिए ओपीडी के साथ ही अन्य कई काम धड़ल्ले से चल रहा है. मरीजों की जिन्दगी दांव पर लगाकर इस तरह के कई अस्पताल वसुंधरा में चल रहे हैं. फॉयर डिपॉर्टमेंट समेत नगर निगम क्यों सोया हुआ है यह सोचने की बात है. गाजियाबाद में आग लगने की खबर अक्सर आती रहती है फिर भी विभाग सक्रिय नहीं है.
Doctor’s Advice: किशोरों में क्यों बढ़ रही अनिद्रा?
अटल चौक के पास वसुंधरा अस्पताल अकेला नहीं है ऐसे कई अस्पतालों को अंदर से जाकर सहारा समय के रिपोर्टर ने देखा तो भयंकर लापरवाहियां दिखीं. पॉल्युशन विभाग और अग्नि शमन विभाग की निष्क्रियता कई हादसों की असली वजह हैं. व्यवसायिक नजर से भी देखें तो वसुंधरा गाजियाबाद में अस्पताल पैसों की फैक्ट्री बन चुके हैं. मानवीय संवेदना मर चुकी है. मरीज के मरने के बाद भी जिस तरह पैसों की वसूली की जाती है वह दर्दनाक है. दवा कंपनियों से लेकर इन्श्योरेंस कंपनियों तक की मिलीभगत लूट की कई कहानियां मीडिया की सुर्खियां बटोरती हैं लेकिन कार्रवाई के नाम पर ढाक के तीन पात.
सुझाव: सुधार और जवाबदेही के उपाय
क्षेत्र
मरीज सुरक्षा
सुझाव -ऑपरेशन थिएटर और अन्य क्लिनिकल प्रक्रियाओं में स्ट्रिक्ट SOP (जैसे चेकलिस्ट, काउंट्स आदि) लागू करना आवश्यक है.
पारदर्शिता
सुझाव -अस्पताल खर्चों और बिलिंग प्रणाली की ऑडिटिंग होनी चाहिए; मरीजों को स्पष्ट बिल और विवरण देना अनिवार्य किया जाए.
रिपोर्टिंग और शिकायत प्रणाली
सुझाव -सीएमओ कार्यालय में शिकायत पोर्टल (ईमेल/फॉर्म) को सक्रिय और जवाबदेह बनाया जाए.
जवाबदेही
सुझाव -जांच समितियों की रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए; दोषी कर्मचारियों या अस्पतालों पर सख्त कार्रवाई हो, जैसे लाइसेंस रद्द करना.
जन-जागरूकता
सुझाव – मरीजों और समाज को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना, और अस्पताल प्रदत्त सेवाओं के बारे में जानकारी उपलब्ध कराना आवश्यक है.
गाजियाबाद के अस्पतालों में कुछ प्रमुख गैरकानूनी गतिविधियां और लापरवाहियां
ऑपरेशन के दौरान प्रेग्नेंट महिला के पेट में कपड़ा छोड़ने का गंभीर आरोप
मामला: दिव्या खुराना नामक गर्भवती महिला को 6 जून 2025 को सिजेरियन ऑपरेशन के बाद छुट्टी दे दी गई; लेकिन बाद में तेज बुखार और पेट में तेज दर्द की समस्या होने पर जांच में पता चला कि उसके पेट में एक तौलिया जैसा कपड़ा रह गया था. यह वस्तु ऑपरेशन के दौरान रह गई थी. अंततः 11 जुलाई को दिल्ली के पटपड़गंज में दूसरे अस्पताल में सर्जरी कर के यह कपड़ा हटाया गया. दिव्या के पति ने 16 जुलाई को सीएमओ और 17 जुलाई को पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. गाजियाबाद के मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने जांच के लिए तीन सदस्यों की समिति गठित की. डॉ. निशी सिरोही (सर्जन) ने सहयोग का आश्वासन दिया है, और सीएमओ का कहना है कि जवाब प्राप्त होने पर कार्रवाई की जाएगी.

यशोदा सुपर हॉस्पिटल में कथित लापरवाही से ऑपरेशन के बाद मौत
मुजफ्फरनगर के रहने वाले 35 वर्षीय उज्जवल को 26 मई 2025 को हर्निया ऑपरेशन के लिए यशोदा सुपर हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था. 2 जून की सुबह उनकी मौत हो गई. किसान यूनियन ने हत्या और लापरवाही का आरोप लगाकर अस्पताल घेराव कर दिया. सीएमओ मौके पर पहुंचकर स्थिति को संभालने की कोशिश की.
नोट-वसुंधरा अस्पताल से रिपोर्टर ने संपर्क करने की कई बार कोशिश की लेकिन डॉक्टर रस्तोगी व्यस्त हैं कहकर टाल दिया गया. उनका वर्जन आने पर हम उनका बयान भी पब्लिश करेंगे.
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