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मेंटल हेल्थ और बॉडी पॉजिटिविटी: अब ये बातें टैबू नहीं

आज के समय में, जब सोशल मीडिया, पढ़ाई, करियर और रिश्तों का दबाव लगातार बढ़ रहा है, तब मानसिक स्वास्थ्य और बॉडी पॉजिटिविटी जैसे विषय युवाओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण हो गए हैं. पहले इन मुद्दों पर खुलकर बात नहीं होती थी, लेकिन अब नई पीढ़ी न सिर्फ इन पर चर्चा कर रही है, बल्कि इन्हें अपनाने की कोशिश भी कर रही है.

मानसिक स्वास्थ्य: अब कोई टैबू नहीं

कई सालों तक मानसिक स्वास्थ्य को लेकर समाज में चुप्पी रही. डिप्रेशन, एंग्जायटी, स्ट्रेस जैसी समस्याओं को लोग कमजोरी समझते थे. लेकिन अब युवा समझ रहे हैं कि मानसिक स्वास्थ्य भी शारीरिक स्वास्थ्य जितना ही जरूरी है. स्कूल, कॉलेज और सोशल मीडिया पर मेंटल हेल्थ अवेयरनेस कैंपेन चल रहे हैं. कई युवा अब थेरेपी लेने, काउंसलर से बात करने या जर्नलिंग जैसी आदतें अपनाने लगे हैं.

  • जर्नलिंग और मेडिटेशन: बहुत से टीनएजर्स और युवा अपनी भावनाओं को लिखना या मेडिटेशन करना पसंद कर रहे हैं. इससे उन्हें अपने विचारों को समझने और स्ट्रेस कम करने में मदद मिलती है.
  • थैरेपी और हेल्पलाइन: अब ऑनलाइन थैरेपी प्लेटफॉर्म और हेल्पलाइन नंबर आसानी से उपलब्ध हैं. युवा बिना झिझक मदद मांग रहे हैं, जो मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी कदम है.

बॉडी पॉजिटिविटी: खुद से प्यार करना सीखना

बॉडी पॉजिटिविटी का मतलब है अपने शरीर को बिना किसी शर्म या ग्लानि के स्वीकारना और उससे प्यार करना. पहले समाज में फेयरनेस, स्लिमनेस या किसी खास बॉडी टाइप को ही सुंदरता का पैमाना माना जाता था. लेकिन अब युवा इन पुराने मानकों को तोड़ रहे हैं.

  • सोशल मीडिया का रोल: इंस्टाग्राम और यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म्स पर कई इंफ्लुएंसर्स और एक्टिविस्ट्स बॉडी पॉजिटिविटी के मैसेज फैला रहे हैं. वे अपने स्ट्रेच मार्क्स, स्किन टोन, या बॉडी शेप को छुपाने की बजाय खुलकर दिखाते हैं और दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करते हैं.
  • फैशन और मार्केटिंग में बदलाव: अब ब्रांड्स भी अलग-अलग बॉडी टाइप्स, स्किन टोन और जेंडर को अपने कैंपेन में शामिल कर रहे हैं. इससे युवाओं को लगता है कि वे जैसे हैं, वैसे ही परफेक्ट हैं. युवाओं के लिए क्यों जरूरी है यह बदलाव?
  • आत्मविश्वास में बढ़ोतरी: जब युवा अपने शरीर और मन को स्वीकारना सीखते हैं, तो उनका आत्मविश्वास बढ़ता है. वे अपनी असल पहचान के साथ आगे बढ़ पाते हैं.
  • सकारात्मक सोच: मानसिक स्वास्थ्य और बॉडी पॉजिटिविटी पर ध्यान देने से युवाओं की सोच पॉजिटिव होती है. वे दूसरों की तुलना में खुद की ग्रोथ पर फोकस करते हैं.
  • स्ट्रेस और डिप्रेशन में कमी: जब युवा खुद को स्वीकारना सीखते हैं और जरूरत पड़ने पर मदद मांगते हैं, तो स्ट्रेस और डिप्रेशन जैसी समस्याओं से उबरना आसान हो जाता है.

चुनौतियां और आगे की राह

हालांकि, अभी भी कई लोग मानसिक स्वास्थ्य या बॉडी पॉजिटिविटी को गंभीरता से नहीं लेते. कई बार सोशल मीडिया पर भी बॉडी शेमिंग या ट्रोलिंग देखने को मिलती है. ऐसे में जरूरी है कि स्कूल, कॉलेज और परिवार में इन मुद्दों पर खुलकर बात हो और युवाओं को सपोर्ट किया जाए.

  • एजुकेशन और अवेयरनेस: स्कूलों में मानसिक स्वास्थ्य और बॉडी पॉजिटिविटी पर वर्कशॉप्स और सेशंस होने चाहिए.
  • रोल मॉडल्स की भूमिका: पब्लिक फिगर्स, इंफ्लुएंसर्स और टीचर्स को खुद उदाहरण बनना चाहिए, ताकि युवा उनसे प्रेरणा ले सकें.

मेंटल हेल्थ और बॉडी पॉजिटिविटी अब सिर्फ ट्रेंडिंग टॉपिक्स नहीं, बल्कि युवाओं के लिए ज़रूरी जीवनशैली बनते जा रहे हैं. खुद से प्यार करना, अपनी भावनाओं को समझना और जरूरत पड़ने पर मदद मांगना—यही आज के युवाओं की असली ताकत है. अगर आप भी कभी मानसिक तनाव या बॉडी इमेज को लेकर परेशान हों, तो याद रखें—आप जैसे हैं, वैसे ही खास हैं, और मदद मांगना कभी गलत नहीं.

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