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Health Tips Doctor’s Advice: वजन घटाने का स्मार्ट तरीका ! 

क्या हैं इसके टिप्स, और एक्सपर्ट्स से जानिये इसके लाभ एवं सावधानियाँ .

आजकल स्वास्थ्य के प्रति लोगों की जागरूकता तेजी से बढ़ रही है और इसी के साथ कई डाइट ट्रेंड्स भी लोकप्रिय हो रहे हैं . इन ट्रेंड्स में “इंटरमिटेंट फास्टिंग” (Intermittent Fasting) एक ऐसा नाम है जो खासा चर्चा में है . यह वेट लॉस से लेकर मेटाबॉलिक हेल्थ सुधारने तक के दावे करता है . लेकिन सवाल उठता है – क्या इंटरमिटेंट फास्टिंग वास्तव में फायदेमंद है, या इसके कुछ जोखिम भी हैं? इस विषय पर हमने वरिष्ठ न्यूट्रिशनिस्ट डॉ. अनामिका वर्मा से विस्तार से बात की .

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क्या है इंटरमिटेंट फास्टिंग (Intermittent Fasting)?

इंटरमिटेंट फास्टिंग कोई विशेष डाइट प्लान नहीं बल्कि खाने के समय को लेकर एक पैटर्न है . इसमें व्यक्ति खाने और उपवास के समय को निश्चित करता है . सबसे सामान्य फॉर्मेट है “16:8” जिसमें 16 घंटे उपवास और 8 घंटे भोजन किया जाता है . इसके अलावा “5:2” पैटर्न में हफ्ते में दो दिन कम कैलोरी खाना और बाकी पांच दिन सामान्य आहार लिया जाता है .

 जानिये क्या हैं इंटरमिटेंट फास्टिंग के स्टेप्स?

  1. लेस ऑवर्स से शुरुआत करें:

अचानक लंबे समय तक उपवास करने की बजाय छोटे फास्टिंग विंडो (जैसे 12:12 या 14:10) से शुरुआत करें .

  1. फास्टिंग के दौरान हाइड्रेटेड रहें:

उपवास के समय खूब पानी, नींबू पानी (बिना चीनी), हर्बल चाय या ब्लैक कॉफी पिएं .

  1. ब्रेक-फास्ट को हल्का और संतुलित रखें:

उपवास तोड़ते समय प्रोटीन, फाइबर और हेल्दी फैट से भरपूर भोजन लें .

  1. संतुलित आहार लें :

सिर्फ खाने का समय सीमित करना काफी नहीं, आपको पोषक तत्वों से भरपूर आहार भी लेना चाहिए .

  1. फास्टिंग के समय व्यायाम न करें (आरंभ में):

शुरुआती दिनों में शरीर की ऊर्जा सीमित होती है, इसलिए हल्के व्यायाम या वॉक करें .

  1. नींद पूरी लें:

अच्छी नींद हार्मोन संतुलन और शरीर की रिकवरी के लिए आवश्यक है, विशेष रूप से फास्टिंग के दौरान .

  1. लक्षणों पर ध्यान दें:

यदि चक्कर, कमजोरी या थकावट महसूस हो, तो तुरंत फास्ट तोड़ें और किसी विशेषज्ञ से सलाह लें .

  1. धैर्य रखें:

इंटरमिटेंट फास्टिंग का असर धीरे-धीरे दिखता है . इसे एक आदत की तरह अपनाएं, न कि कोई त्वरित समाधान .

क्या हैं इंटरमिटेंट फास्टिंग के संभावित फायदे?

  1. वजन घटाने में सहायक:

डॉ. अनामिका के अनुसार, जब शरीर को लंबे समय तक भोजन नहीं मिलता, तो वह जमा हुई चर्बी को ऊर्जा के रूप में इस्तेमाल करने लगता है, जिससे वज़न घट सकता है .

  1. इंसुलिन सेंसिटिविटी में सुधार:

इंटरमिटेंट फास्टिंग ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में मदद कर सकता है, जिससे टाइप 2 डायबिटीज़ के खतरे को कम किया जा सकता है .

  1. बेहतर पाचन तंत्र:

उपवास से पाचन तंत्र को आराम मिलता है जिससे पेट की समस्याएं जैसे गैस, अपच, और ब्लोटिंग में राहत मिल सकती है .

  1. मानसिक स्पष्टता:

कुछ रिसर्च से यह भी पता चलता है कि फास्टिंग के दौरान मानसिक स्पष्टता (Mental Clarity) और फोकस बेहतर हो सकता है .

यदि आप इंटरमिटेंट फास्टिंग शुरू करने की सोच रहे हैं, तो ऊपर दिए गए सुझावों को ध्यान में रखें और जरूरत हो तो किसी न्यूट्रिशनिस्ट से मार्गदर्शन ज़रूर लें .

क्या हैं इंटरमिटेंट फास्टिंग के संभावित जोखिम? 

  1. कमजोरी और चक्कर आना:

शुरुआत में कुछ लोगों को कमजोरी, चिड़चिड़ापन और चक्कर आने की शिकायत हो सकती है .

  1. पोषण की कमी:

अगर फास्टिंग के दौरान संतुलित आहार नहीं लिया जाए तो शरीर में ज़रूरी विटामिन और मिनरल्स की कमी हो सकती है .

  1. महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन:

महिलाओं के शरीर में फास्टिंग से हार्मोनल असंतुलन हो सकता है, जिससे मासिक धर्म अनियमित हो सकता है .

  1. कुछ रोगियों के लिए अनुपयुक्त:

याद रखें! स्वास्थ्य में संतुलन और समझ सबसे ज़रूरी है – कोई भी डाइट फॉलो करने से पहले जानिए कि वह आपके लिए सही है या नहीं .

इंटरमिटेंट फास्टिंग एक प्रभावी स्वास्थ्य टूल हो सकता है, लेकिन यह “हर किसी के लिए” नहीं है . इसका प्रभाव व्यक्ति की उम्र, स्वास्थ्य स्थिति और जीवनशैली पर निर्भर करता है . वरिष्ठ न्यूट्रिशनिस्ट डॉ. अनामिका वर्मा कहती हैं, “इंटरमिटेंट फास्टिंग को अपनाने से पहले एक बार किसी विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लें ताकि यह आपके शरीर के लिए सुरक्षित और फायदेमंद साबित हो .”

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