अगर आप रात में नींद के दौरान अक्सर मुंह से सांस लेते हैं, तो यह सिर्फ एक आदत नहीं बल्कि फेफड़ों और संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए खतरे की घंटी हो सकती है. हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि मुंह से सांस लेने की यह आदत धीरे-धीरे लंग्स की कार्यक्षमता (lungs function) को प्रभावित करती है और शरीर में ऑक्सीजन की गुणवत्ता को भी घटा देती है.
मुंह से सांस लेने के पीछे क्या कारण हैं?
नींद के दौरान मुंह से सांस लेने के कई कारण हो सकते हैं, चलिए जानते हैं.
नाक बंद रहना या साइनस की समस्या, एलर्जी या डिविएटेड नोज सेप्टम, मोटापा या स्लीप एपनिया (Sleep Apnea), आदतन मुंह खोलकर सोने की प्रवृत्ति, विशेषज्ञों के अनुसार, यह समस्या नाक से सांस लेने की प्राकृतिक प्रक्रिया को बाधित करती है, जिससे हवा सीधे फेफड़ों में बिना फिल्टर और बिना गर्म हुए प्रवेश करती है.
फेफड़ों पर कैसे पड़ता है असर?
नाक से सांस लेने पर हवा पहले फिल्टर, मॉइस्चराइज और गर्म होकर फेफड़ों तक जाती है, जिससे बैक्टीरिया और धूलकण शरीर में नहीं पहुंचते, लेकिन जब आप मुंह से सांस लेते हैं, तो यह प्राकृतिक फिल्टर सिस्टम निष्क्रिय हो जाता है.
. गले और फेफड़ों में सूजन और संक्रमण का खतरा बढ़ता है।
. शरीर में ऑक्सीजन लेवल कम हो सकता है।
. सांस फूलना, खर्राटे और थकान जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं।
क्या करें इस आदत को सुधारने के लिए?
सोने से पहले नाक साफ करें और नेजल स्प्रे का उपयोग करें, पर्याप्त पानी पिएं ताकि गला सूखा न रहे, अगर लगातार मुंह से सांस लेते हैं, तो ईएनटी डॉक्टर से सलाह लें, योग और डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज से सांस लेने की तकनीक सुधारें.
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