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साबुन vs डिटर्जेंट: क्या आप जानते हैं फर्क?

Knowledge Tips: साफ-सफाई की दुनिया में अक्सर लोग साबुन और डिटर्जेंट को एक ही समझ लेते हैं, लेकिन इन दोनों में बड़ा अंतर होता है, सही इस्तेमाल और जानकारियां न केवल आपके स्वास्थ्य के लिए ज़रूरी हैं, बल्कि यह आपके कपड़ों और घर की सफाई को भी प्रभावित करती हैं.

साबुन क्या है?
साबुन मुख्य रूप से नैचुरल तेल और फैट्स से बनाया जाता है, साबुन का काम है—तेल और गंदगी को पानी के साथ मिलाकर दूर करना.

साबुन की खासियत
नैचुरल और स्किन-फ्रेंडली – आम तौर पर साबुन त्वचा पर कोमल होता है.
इको-फ्रेंडली – साबुन आसानी से बायोडिग्रेडेबल होता है.
सीमित इस्तेमाल – साबुन पानी की कठोरता (hard water) में फोम कम करता है.

डिटर्जेंट क्या है?
डिटर्जेंट में सिंथेटिक (कृत्रिम) केमिकल्स होते हैं, जो गंदगी और तेल को अधिक प्रभावी ढंग से हटाते हैं.

डिटर्जेंट की खासियत
कठोर पानी में भी काम करता है – फोम आसानी से बनता है.
ज्यादा पावरफुल – फैट, दाग और गंदगी को जल्दी हटाता है.
स्किन के लिए संवेदनशील – कुछ डिटर्जेंट त्वचा को ड्राई या एलर्जी दे सकते हैं.

साबुन और डिटर्जेंट में मुख्य अंतर
साबुन
. इसमें एक ‘-COONa’ समूह होता है जो एक लम्बी एल्काइल श्रृंखला वाले फैटी एसिड से जुड़ा होता है
. वे कठोर जल और खारे पानी में प्रभावी नहीं हैं
. साबुन पूरी तरह से जैवनिम्नीकरणीय होते हैं
. कठोर जल वाले वातावरण में उनमें मैल बनने की प्रवृत्ति होती है
. वे वनस्पति तेलों और पशु वसा जैसे प्राकृतिक स्रोतों से प्राप्त होते हैं
. साबुन पर्यावरण-अनुकूल उत्पाद हैं क्योंकि वे जैव-निम्नीकरणीय होते हैं
. साबुन के उदाहरण: सोडियम पामिटेट और सोडियम स्टीयरेट

डिटर्जेंट
. एक लंबी एल्किल श्रृंखला से जुड़े ‘-SO 3 Na’ समूह से मिलकर बना होता है
. वे कठोर जल और खारे जल में भी अपनी प्रभावशीलता नहीं खोते
. शाखित हाइड्रोकार्बन श्रृंखला वाले डिटर्जेंट गैर-जैवनिम्नीकरणीय होते हैं
. ये यौगिक मैल नहीं बनाते
. डिटर्जेंट सिंथेटिक व्युत्पन्न हैं
. ये यौगिक एक गाढ़ा झाग बना सकते हैं जो जलीय जीवन की मृत्यु का कारण बनता है
. डिटर्जेंट के उदाहरण: डिऑक्सीकोलिक एसिड और सोडियम लॉरिल सल्फेट

कब कौन सा इस्तेमाल करें?
साबुन: हाथ धोने, स्नान करने और रोजमर्रा की हल्की सफाई के लिए.
डिटर्जेंट: कपड़े धोने, बर्तन साफ करने या गहरी सफाई के लिए.

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