भारतीय शादी में दुल्हन का लाल जोड़ा सिर्फ परंपरा नहीं, बल्कि एक गहरी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक मान्यता है. सदियों से लाल रंग को शुभ, मंगल और शक्ति का प्रतीक माना जाता है, यही कारण है कि आज भी ज्यादातर दुल्हनें शादी के दिन लाल जोड़ा पहनना पसंद करती हैं, लेकिन आखिर लाल ही क्यों? इसके पीछे कई रोचक और प्राचीन कारण छिपे हैं.
लाल रंग शक्ति और ऊर्जा का प्रतीक
हिंदू धर्म में लाल रंग देवी शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है, शादी एक नया जीवन, नई शुरुआत और साहस की यात्रा है. इसलिए दुल्हन को लाल रंग में सजाया जाता है ताकि वह मजबूत और ऊर्जावान महसूस करे.
मंगल ग्रह और शुभता का संबंध
ज्योतिष के अनुसार लाल रंग मंगल ग्रह का रंग है, मंगल को विवाह, साहस और स्थिरता का कारक माना जाता है, इसलिए शादी में लाल रंग पहनना, शुभ माना जाता है, शादीशुदा जीवन को स्थिरता और सौभाग्य देने वाला माना जाता है.
लाल रंग जीवन और प्रेम का प्रतीक
विश्वभर में लाल रंग का मतलब होता है. प्यार, जुनून, समर्पण, शादी प्रेम और विश्वास का बंधन है, इसलिए लाल रंग इस पवित्र बंधन को और मजबूत मान्यता देता है.
नजर से बचाने का प्राचीन कारण
पुराने समय में माना जाता था कि लाल रंग, बुरी नजर, नकारात्मक ऊर्जा से दुल्हन की रक्षा करता है, इसी वजह से शादी में हाथों में लाल चूड़ियां, लाल चुनरी और लाल बिंदी का चलन शुरू हुआ.
प्राचीन रिवाज और परंपराओं का प्रभाव
वेदों और ग्रंथों में लाल रंग को सबसे पवित्र और श्रेष्ठ बताया गया है. शादी के कई रस्में हल्दी, कुमकुम, चूड़ा, सभी में लाल रंग शामिल होता है, इसी वजह से दुल्हन का जोड़ा भी लाल पहनने की परंपरा मजबूत होती गई.
विज्ञान भी मानता है लाल रंग को खास
विज्ञान के अनुसार लाल रंग, सबसे ज्यादा ध्यान आकर्षित करता है, आत्मविश्वास बढ़ाता है, मूड को पॉजिटिव बनाता है, शादी के दिन दुल्हन को आत्मविश्वास और खुशी की जरूरत होती है—लाल रंग यह काम बखूबी करता है.
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