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सिख धर्म में GuruNanak Jayanti को क्यों कहा जाता है “प्रकाश पर्व”?

सिख धर्म के संस्थापक श्री गुरु नानक देव जी की जयंती पूरे देश और दुनिया भर में “प्रकाश पर्व” के रूप में मनाई जाती है. यह दिन न सिर्फ सिख समुदाय के लिए, बल्कि पूरे मानव समाज के लिए आध्यात्मिक प्रकाश का प्रतीक है, हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन यह पर्व बड़ी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है.

“प्रकाश पर्व” क्यों कहा जाता है?
गुरु नानक देव जी का जन्म 1469 ईस्वी में तलवंडी (अब पाकिस्तान के ननकाना साहिब) में हुआ था, उनके जन्म को “प्रकाश पर्व” इसलिए कहा जाता है क्योंकि उस दिन अज्ञान के अंधकार में ज्ञान और सत्य का प्रकाश फैला था. गुरु नानक जी ने अपने उपदेशों के माध्यम से समाज में समानता, प्रेम, भाईचारे और सत्य के मार्ग को दिखाया, उन्होंने सिखाया कि भगवान एक है और हर इंसान में उसी की झलक है — यही उनका संदेश “एक ओंकार” कहलाता है.

गुरुद्वारों में सजता है प्रकाश और भक्ति का अद्भुत संगम
गुरुनानक जयंती के अवसर पर देशभर के गुरुद्वारों में दीयों और लाइट्स से साज-सज्जा की जाती है. दिनभर कीर्तन, लंगर और नगर कीर्तन का आयोजन होता है. सिख श्रद्धालु सुबह-सवेरे “प्रभात फेरी” निकालते हैं और गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ करते हैं, शाम को गुरुद्वारों में दीयों की रोशनी और भक्ति संगीत का अद्भुत संगम देखने को मिलता है.

गुरु नानक देव जी के उपदेश — आज भी प्रासंगिक
गुरु नानक देव जी के तीन मुख्य संदेश आज भी मानवता के लिए मार्गदर्शक हैं.
नाम जपना — ईश्वर के नाम का ध्यान करना
किरत करना — ईमानदारी से मेहनत कर जीवन यापन करना
वंड छकना — अपनी कमाई का हिस्सा जरूरतमंदों के साथ बाँटना
उनका यह जीवन दर्शन आज के युग में भी सामाजिक समरसता और मानवता की नींव को मजबूत बनाता है.

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