शांति और मानसिक संतुलन की तलाश में लोग अक्सर अलग-अलग उपाय अपनाते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि रात को केवल एक मंत्र बोलने से आपका मन शांत हो सकता है? ‘कर्पूर गौरं’—ये शब्द सुनने में सरल लगते हैं, लेकिन इनके पीछे एक गहरा आध्यात्मिक और वैज्ञानिक रहस्य है.
कर्पूर गौरं क्या है?
‘कर्पूर गौरं’ शिवजी के एक प्रसिद्ध स्तोत्र का आरंभिक मंत्र है, इसका पूरा मंत्र इस प्रकार है:
“कर्पूर गौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।
सदा वसन्तं हृदयारविंदे भवं भवानी सहितं नमामि।”
इसका अर्थ है श्वेत कर्पूर जैसे सफेद, करुणा से भरे शिव, जो संसार के सार हैं और जो सर्पों के हार धारण करते हैं, मैं आपको और भवानी को अपने हृदय में निवास करने के लिए प्रणाम करता हूँ.
रात में पढ़ने के फायदे
आयुर्वेद और योग शास्त्रों के अनुसार रात का समय शरीर और मन को शुद्ध करने के लिए सर्वोत्तम होता है, जब हम सोने से पहले ‘कर्पूर गौरं’ का उच्चारण करते हैं
मन को शांति मिलती है – मंत्र उच्चारण से मस्तिष्क में थॉरिन हार्मोन की सक्रियता बढ़ती है, जो तनाव कम करता है.
नींद में सुधार होता है – मंत्र की लय और ध्वनि मस्तिष्क को रिलैक्स करती है, जिससे गहरी नींद आती है.
सकारात्मक ऊर्जा का संचार – मंत्र का उच्चारण सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है और नकारात्मक विचारों को कम करता है.
आध्यात्मिक अनुभव – नियमित अभ्यास से व्यक्ति को मानसिक संतुलन और आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त होता है.
कैसे करें अभ्यास
रात को सोने से पहले शांत जगह पर बैठें, आंखें बंद करें और धीमे-धीमे ‘कर्पूर गौरं’ का उच्चारण करें, कम से कम 5–10 मिनट तक इस अभ्यास को जारी रखें. चाहें तो दीपक जलाकर या हल्का ध्यान करके इसे और प्रभावी बनाया जा सकता है, यह केवल एक धार्मिक क्रिया नहीं, बल्कि मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी बेहद लाभकारी है. तो अगली बार जब आप थके हुए या तनाव में हों, तो रात को ‘कर्पूर गौरं’ का जाप करें और खुद महसूस करें इसका चमत्कार.
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