देशभर में मंदिरों और घरों में रोजाना पूजा की जाती है, जिनमें फूल एक अहम हिस्सा होते हैं. लेकिन पूजा में चढ़ाए गए फूल जब मुरझा जाते हैं, तो लोग उन्हें साधारण कचरे में फेंक देते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह तरीका गलत माना जाता है, क्योंकि भगवान को अर्पित वस्तुओं का अपमान माना जाता है. विशेषज्ञ बताते हैं कि इन पवित्र वस्तुओं का सही तरीके से विसर्जन करना आवश्यक है.
क्यों नहीं फेंकने चाहिए पूजा के फूल?
धर्मशास्त्रों के अनुसार, पूजा में चढ़ाई गई सामग्री ‘पवित्र’ मानी जाती है, इसे कचरे में फेंकने से न केवल धार्मिक दृष्टि से अपमान होता है, बल्कि पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचता है. पर्यावरण विशेषज्ञों के मुताबिक प्रतिदिन लाखों किलो फूल नदियों और कूड़ाघरों में पहुंच जाते हैं, जिससे प्रदूषण बढ़ता है, इसलिए इनके प्रबंधन के लिए सही उपाय अपनाना जरूरी है.
पूजा के मुरझाए फूलों का करें क्या?
मिट्टी में दबाकर करें प्राकृतिक विसर्जन- सबसे आसान और पवित्र तरीका है. फूलों को मिट्टी में दबा देना, ये कुछ दिनों में खाद बन जाते हैं, जिससे पौधों को पोषण मिलता है.
पौधों की खाद (Compost) बना सकते हैं- मुरझाए फूलों को सूखे पत्तों और किचन वेस्ट के साथ कम्पोस्ट में डाल सकते हैं, यह प्राकृतिक खाद पर्यावरण के लिए भी उत्तम है.
बहते पानी में विसर्जन (पर्यावरण-अनुकूल धारा)- जहां पर्यावरणीय अनुमति हो, बहते स्वच्छ पानी में थोड़ी मात्रा में विसर्जन किया जा सकता है, ध्यान रहे — प्लास्टिक, धागे या पॉलिथीन साथ न डालें.
धूप या हवन सामग्री में उपयोग- सूखे फूलों को धूप या हवन सामग्री में मिलाकर उपयोग किया जा सकता है, इनसे सुगंध भी आती है और कोई अपव्यय भी नहीं होता.
गंगा जल या रोली के साथ पवित्र स्थान पर रखें- बहुत से लोग सूखे फूलों को किसी पवित्र वृक्ष जैसे पीपल, तुलसी या नीम के पास रखते हैं, यह धार्मिक दृष्टि से भी उचित माना जाता है.
क्या नहीं करना चाहिए?
कचरे में फेंकना, प्लास्टिक बैग में बंद करके रखना, नालियों में डालना, नदी में प्लास्टिक के साथ विसर्जन करना, ये सब पर्यावरण और धार्मिक मान्यताओं दोनों के विरुद्ध माने जाते हैं.
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