कार्तिक मास की शुक्ल एकादशी को देवउठनी एकादशी के रूप में मनाया जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु चार महीने की योगनिद्रा से जागते हैं, और इसी के साथ शुभ कार्यों की शुरुआत होती है. माना जाता है कि इस पावन दिन पर यदि भक्त सच्चे मन से श्रीहरि विष्णु के मंत्रों का जाप करें, तो उनके सभी संकट दूर हो जाते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है.
देवउठनी एकादशी का महत्व
देवउठनी एकादशी का दिन भगवान विष्णु के भक्तों के लिए बेहद खास माना जाता है, ऐसा कहा जाता है कि चातुर्मास के दौरान भगवान विष्णु क्षीर सागर में शयन करते हैं, और इस दिन वे पुनः जाग्रत होकर पृथ्वी लोक की ओर दृष्टि डालते हैं। इसी कारण इस दिन से शुभ विवाह, गृहप्रवेश, व्रत-उत्सव और धार्मिक कार्यों की शुरुआत मानी जाती है.
इन चमत्कारी मंत्रों का करें जाप
अगर आप इस एकादशी पर भगवान विष्णु को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो सुबह स्नान के बाद दीप जलाकर इन मंत्रों का जाप करें—
“ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः।” इस मंत्र के जाप से मन को शांति मिलती है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है.
“ॐ विष्णवे नमः।” यह मंत्र सभी प्रकार की बाधाओं को दूर कर आर्थिक स्थिरता लाता है.
“ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्।” यह मंत्र आत्मबल, सफलता और मनोकामना पूर्ति के लिए चमत्कारी माना गया है.
व्रत और पूजन विधि
सुबह स्नान के बाद शुद्ध पीले वस्त्र पहनें, भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर के सामने तुलसी पत्र, फूल और दीपक अर्पित करें, दिनभर व्रत रखें और संध्या के समय आरती व मंत्रजाप करें, व्रत के बाद गरीबों को भोजन कराना और दान देना शुभ फलदायक होता है.
आस्था का संदेश
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो व्यक्ति देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु का ध्यान और मंत्रजाप करता है, उसके जीवन से दरिद्रता, कष्ट और भय का नाश होता है, यह दिन सिर्फ व्रत का नहीं, बल्कि आत्मिक जागरण और शुभारंभ का प्रतीक है.
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